Saturday, October 31, 2015

बुटाटी धाम आस्था का केंद्र


एक मंदिर ऐसा भी है जहा पर पैरालायसिस(लकवे ) का इलाज होता है ! यहाँ पर हर साल हजारो लोग पैरालायसिस(लकवे ) के रोग से मुक्त होकर जाते है यह धाम नागोर जिले के कुचेरा क़स्बे के पास है, अजमेर- नागोर रोड पर यह गावं है ! लगभग ५०० साल पहले एक संत होए थे चतुरदास जी वो सिद्ध योगी थे, वो अपनी तपस्या से लोगो को रोग मुक्त करते थे ! आज भी इनकी समाधी पर सात फेरी लगाने से लकवा जड़ से ख़त्म हो जाता है ! नागोर जिले के अलावा  पूरे देश से लोग आते है और रोग मुक्त होकर जाते है हर साल वैसाख, भादवा और माघ महीने मे पूरे महीने मेला लगता है !  

बुटाटी धाम



 ये एक महान संत और सिद्ध पुरुष चतुरदास जी का मंदिर है .... ...जय चतुर दास जी ..आस्था को नमन

Sunday, October 11, 2015

तुलसी के चमत्कारी गुण!


तुलसी के चमत्कारी गुण!

तुलसी के चमत्कारी गुण!
तुलसी का पौधा अपने स्वास्थय प्रदायक गुणों और सात्विक प्रभाव के कारण आम जनमानस में इतना लोकप्रिय है कि लोग उसे भक्ति भाव से देखते है! अपनी उपयोगिता के कारण इसके प्रति आम मनुष्य में अपार श्रद्धा और विश्वास है! तुलसी केवल शारीरिक व्याधियों को ही दूर नहीं करती अपितु मनुष्य के विचारो पर भी कल्याणकारी प्रभाव डालने में सक्षम है! शास्त्रो में कहा गया है-
“त्रिकाल बिनता पुत्र प्रयाश तुलसी यदि!
विशिष्यते कायशुद्धिस्चन्द्रायण शतं बिना!!
तुलसी गंधमादाय यत्र गछन्ति मारुतः!
दिशो दशश्च पूतास्तुभूर्त ग्रामश्चतुविर्धः!!
अर्थात यदि प्रातः, दोपहर और संध्या के समय तुलसी का सेवन किया जाय तो उससे मनुष्य की काया इतनी शुद्ध हो जाती है जितनी अनेक बार चान्द्रायण व्रत करने से भी नहीं होती! तुलसी की गंध वायु के साथ जितनी दूर तक जाती है, वहाँ का वातावरण और निवास करने वाले सब प्राणी पवित्र-निर्विकार हो जाते है!
तुलसी की यह महिमा, गुण-गरिमा केवल कल्पना मात्र नहीं है, भारतीय जनता हजारो वर्षो से इसको प्रत्यक्ष अनुभव करती आई है! हम चाहे जिस भाव से तुलसी के साथ रहेँ, हमको उससे होने वाले शारारिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ न्यूनाधिक परिमाण में प्राप्त होते ही है! पुराणकारों ने तुलसी में समस्त देवताओ का निवास बतलाते हुए यहाँ तक कहा है –
 “तुल्सस्यां सकल देवाः वसंती सततं यतः!
अतस्तामच्येल्लोकाः सर्वांदेवांसमचर्य न!!
अर्थात तुलसी में समस्त देवताओ का निवास सदेव रहता है! इसलिए जो लोग उसकी पूजा करते है, उनको अनायास ही सभी देवों की पूजा का लाभ प्राप्त हो जाता है!
तुलसी की रोगनाशक शक्ति
भारतीय चिकत्सा विधान में सबसे प्राचीन और मान्य ग्रन्थ चरक संहिता में तुलसी को हिचकी, खांसी, विषविकार और पसली के दर्द को मिटाने वाली बताया गया है! इससे पित की वृद्धि और दूषित कफ तथा वायु का शमन होता है, यह दुर्गन्ध विनाशनी भी होती है! तुलसी कटु, तिक्त, हृदय के लिए हितकारी, पाचन शक्ति को बढ़ाने वाली, मूत्रकृच्छ के कष्ट को मिटाने वाली होती है! यह वात और कफ के विकारो को मिटाने में सक्षम है! इसकी तीक्ष्णता केवल विशेष प्रकार की और छोटे कृमियों को दूर करने तक ही सिमित है! यह एक घरेलु वनस्पति है जिसके सेवन से कोई खतरा नहीं रहता है! तुलसी को प्रायः भगवान के प्रसाद, चरणामृत, पंचामृत आदि में मिलाकर सेवन किया जाता है इस प्रकार यह भोजन का अंश बन जाती है! तुलसी के साथ प्रायः सोंठ, अजवायन, कालीमिर्च, बेलगिरी, नीम की कोंपल , पीपल , इलायची , लौंग आदि ऐसी चीजें होती है जो प्रायः हम नित्य प्रयोग में लेते है! यह एक सौम्य वनस्पति है, जिसके दस- पांच पत्ते कभी भी चबा लेने से कोई हानि नहीं है! “रामा” तुलसी के पत्तो का रंग हलका तथा “श्यामा” तुलसी के पत्तो का रंग गहरा होता है! श्यामा तुलसी का प्रयोग इसकी तीव्र गंध और रस के कारण ओषधि में ज्यादा किया जाता है! तुलसी के अन्य प्रकारों में “वन तुलसी”, मरूवक तथा बरबरी तुलसी भी है!
विभिन्न रोगो में तुलसी का प्रयोग-
1. ज्वर– तुलसी के पोधो में मच्छरों को दूर भगाने का गुण और इसकी पत्तियों का सेवन करने से मलेरिया का दूषित तत्व दूर हो जाता है! इसीलिए हमारे यहाँ ज्वर आने पर तुलसी और काली मिर्च का काढ़ा बनाकर पी लेना सबसे सुलभ और सरल उपचार माना जाता है! कुछ अन्य नुस्खे निम्नानुसार है-
– जुकाम के कारण आने वाले ज्वर में तुलसी के पत्तो का रस अदरक के रस के साथ शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए!
-मलेरिया के निवारण हेतु तुलसी के पत्तो को बारीक पीस लेवे और उसमे आधी मात्रा में काली मिर्च पीसकर मिला लेवे! इस मिश्रण की छोटे बेर के बराबर की गोलिया बना कर छाया में सुखा लेवे! ये दो दो गोलियां तीन तीन घंटे के अंतर से जल द्वारा सेवन करने से मलेरिया अच्छा हो जाता है!
-तुलसी के पत्ते ११, कालीमिर्च ९, अजवायन २ माशा, सोंठ ३ माशा सबको पीसकर एक छटांक पानी में घोल ले! इसके पश्चात मिटटी के कुल्हड़ को आंच पर खूब तपाकर इस कुल्हड़ में मिश्रण को डाल ले! इससे निकलने वाली भाप रोगी के शरीर पर लगावे। कुछ समय पश्चात जब कुल्हड़ में रखा मिश्रण गुनगुना हो जाये तो इसमें थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर रोगी को पिला देवे! इससे सब प्रकार के ज्वर जल्दी दूर हो जाते है !
-पुदीना और तुलसी के पत्तो का रस एक-एक तोला लेकर उसमे ३ माशा खांड मिलाकर सेवन करे, यह मंद ज्वर में लाभदायक है!
– शीत ज्वर में तुलसी के पत्ते, पुदीना, अदरक तीनो आधा आधा तोला लेकर काढ़ा बनाकर पियें!
– तुलसी के पत्ते और काले सहजन के पत्ते मिलाकर पीस लेवे! उस चूर्ण का गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से विषम ज्वर दूर होता है!
-मंद ज्वर में तुलसी पत्र आधा तोला, काली दाख दस दाना, कालीमिर्च एक माशा, पुदीना एक माशा सबको ठंडाई की तरह पीस-छान मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है!
-विषम ज्वर और पुराने ज्वर में तुलसी के पत्तो का रस एक तोला मात्र में कुछ दिनों तक इस्तेमाल से लाभ होता है!
-तुलसी पत्र एक तोला, काली मिर्च एक तोला, करेले के पत्ते एक तोला, कुटकी ४ तोला सबको खरल में खूब घोट कर मटर के बराबर गोलिया बनाकर छाया में सुख ले! ज्वर आने से पहले और सांयकाल के समय दो-दो गोली ठन्डे पानी से सेवन करने पर जाड़ा देकर आने वाला बुखार दूर होता है! स्वस्थ मनुष्य द्वारा सेवन करने पर ज्वर का भय नहीं रहता!
-तुलसी पत्र और सूरजमुखी की पत्तिया पीस-छानकर पीने से सब तरह के ज्वर में लाभ होता है!
-कफ के ज्वर में तुलसी पत्र, नागरमोथा और सोंठ बराबर लेकर काढ़ा बनाकर सेवन करना चाहिए!

-सामान्य हरारत तथा जुकाम में तुलसी की थोड़ी -सी पत्तियों का चाय की तरह काढ़ा बनाकर उसमे दूध और मिश्री मिलाकर पीने से लाभ होता है! यह तुलसी की चाय अत्यंत हितकारी है!
2. खांसी और जुकाम – चरक सहिंता के अनुसार खांसी में छोटी मक्खी के शहद के साथ तुलसी का रस विशेष रूप से लाभदायक है!
-साधारण खांसी में तुलसी के पत्तो और अडूसा के पत्तो का रस बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से शीघ्र लाभ होता है!
-तुलसी के बीज, गिलोय, सोंठ, कटेरी की जड़ सामान भाग पीस कर छान ले, इसमें से आधा माशा चूर्ण शहद के साथ खाने से खांसी में लाभ होता है!
-कूकर खांसी में तुलसी मंजरी और अदरक को बराबर लेकर पीसने के पश्चात शहद में मिलाकर चाटे!
-तुलसी की मंजरी, बच, पीपल आधा-आधा तोला और मिश्री दो तोला लेकर एक सेर पानी में ओटायें, जब आधा रह जाए तो छानकर पी लेवे!इसको एक एक छटांक दिन में कई बार सेवन करने से कूकर खांसी में लाभ होता है!
-छोटे बच्चो की खांसी में तुलसी की पत्ती ४ रत्ती और काकड़सिंघी तथा अतीस दो-दो रत्ती शहद में मिलाकर माँ के दूध के साथ देने से फायदा होता है!
-तुलसी का रस और मुलहठी का सत मिलाकर चाटने से खांसी दूर होती है !
-तुलसी और कसुंदी की पत्ती का रस मिलकर सेवन करने से खांसी में लाभ होता है!
-चार पांच लोंग भूनकर तुलसी पत्र के साथ लेने से सब तरह की खांसी में लाभ होता है!
-सुखी खासी में अगर गला बैठ गया हो तो तुलसी पत्र, खसखस (पोस्त का दाना) तथा मुलहटी पीसकर समान भाग लाल बुरा या खांड मिलाकर गुनगुने पानी के साथ सेवन करे!
_तुलसी पत्र आधा तोला, गेहू का चोकर एक तोला, मुलहठी आधा तोला पाव भर पानी में पकाये! आधा रह जाने पर छानकर थोड़ा देशी बुरा या खांड मिलाकर पीने से शीघ्र खांसी दूर होती है!
-तुलसी पत्र, हल्दी और काली मिर्च का उपरोक्त विधि से सेवन करने से जुकाम और हरारत में लाभ होता है!
३. आँख, नाक और कानों के रोग– ये तीनो इन्द्रियां महत्वपूर्ण और कोमल होती है अतएव किसी व्याधि में तीव्र ओषधि का व्यवहार उचित नहीं! तुलसी ऐसी सोम्य और निरापद ओषधि है जो अपने सूक्ष्म प्रभाव से इन अंगो को शीघ्र निरोग कर सकती है!
– तुलसी के बीज २ माशा, रसोत २ माशा , आमाहल्दी २ माशा , अफीम ४ रत्ती इन सबको घीग्वार के गूदे में मिलाकर पीस लेवे! इसका आँखों के चारो तरफ लेव करने से दर्द और सुर्खी में लाभ होता है!
-केवल तुलसी का रस निकालकर आँखों में आँजने से नेत्रों की पीड़ा तथा अन्य रोग दूर होते है!
-आँखों में सूजन और खुजली की शिकायत होने पर तुलसी पत्रो का काढ़ा बनाकर उसमें थोड़ी-सी फिटकरी पीसकर मिला देवे! जब काढ़ा गुनगुना रहे तभी साफ़ रुई को उसमे भिगोकर बार-बार पलकों को सेंके! पांच-पांच मिनट में दो बार सेकने से सूजन कम होकर आँखे खुल जाती है!
-अगर कान में दर्द हो या श्रवण शक्ति में कुछ कमी जान पड़ती हो तो तुलसी का रस जरा सा गुनगुना करके दो-चार बुँदे टपकाने से आराम होता है ! कान बहता हो या पीव पड़ जाने से दुर्गन्ध आती हो तो प्रतिदिन रस डालते रहने से लाभ होता है!
-अगर नाक के भीतर दर्द होता हो, किसी तरह का जख्म अथवा फुंसी हो गयी हो तो तुलसी के पत्तो को खूब बारीक पीसकर सुँघनी की तरह सुंघने से आराम होता है!
4. पुरषो के मूत्र सम्बन्धी रोग– तुलसी के बीज अधिक लसदार और लपक होते है!ये बीज बहुत जल्द लुआव छोड़ते है और थोड़ी ही देर में लसदार झिल्ली के रूप में बदल जाते है , इसलिए इनको गुड जैसी किसी चीज में मिलाकर खाते है या पानी में घोलकर पीते है! तुलसी के पत्ते भी वीर्य दोषो को मिटाने में बहुत उपयोगी है!
-तुलसी की जड़ को बारीक पीसकर सुपारी की जगह पान में रखकर खाया जाय तो पौरुष शक्ति का विकास होता है!
-तुलसी के बीज या जड़ का चूर्ण पुराने गुड में मिलाकर ३ माशा प्रतिदिवस दूध के साथ सेवन करने से पुरषत्व की वृद्धि होती है!
-तुलसी के बीज ५ तोला, मूसली ४ तोला, मिश्री ६ तोला लेकर पीस लेवे! इस चूर्ण को प्रतिदिवस ३ माशा मात्रा गाय के दूध के साथ सेवन करने से निर्बलता में आशाजनक सुधार आता है!
-उपदंश रोग में तुलसी के बीज पानी में महीन पीसकर लुगदी बना लेवे! इससे दूना नीम का तेल लेकर दोनों को आग पर पकाए! जब लुगदी जलकर काली पड़ जाए तब उसे छानकर तेल को ठंडा कर लेवे और उपदंश के घावों पर लगावे, यह तेल अन्य प्रकार के घावों पर भी लाभदायक है!
-मूत्रदाह की शिकायत पर पाव भर दूध और डेढ़ पाव पानी मिलाये और उसमे दो-तीन तुलसी पत्र का रस डालकर पी लेवे!
-रात को तुलसी के ६ माशा बीज पाव भर पानी में भिगो देवे और सुबह उनको खूब मिलाकर ठंडाई की तरह पी जाए! इसके लगातार सेवन से प्रमेह, धातु क्षीणता , मूत्र-कृच्छ आदि में लाभ होगा!
5. स्त्रियों के विशेष रोग-
तुलसी स्त्री वाचक पौधा है और कथाओ में उसे विष्णु की प्रिया भी कहा गया है, यह स्त्रियों के स्वास्थय संवर्धन में विशेष सहायक है!
-स्त्रियों के मासिक धर्म रुकने पर तुलसी के बीजो का प्रयोग लाभदायक होता है , तुलसी पंचांग (पत्ते, मंजरी, बीज, लकड़ी और जड़), सोंठ, निम्बू की छाल का गुदा, अजवायन , तालिश पत्र इन सबको जौकुट कर इस मिश्रण में से एक तोला लेकर पाव भर पानी में काढ़ा बनावे! जब चौथाई पानी रह जावे तो छानकर पी लेवे! कुछ समय तक यह प्रयोग करने से रुक हुआ मासिक धर्म खुल जाता है!
– यदि रजो-दर्शन (मासिक-धर्म) के होने पर तुलसी के पत्तो का काढ़ा बनाकर तीन दिन तक पी लिया जाय तो गर्भ स्थापना की सम्भावना कर हो जाती है!
-गर्भणी स्त्री की छाती और पेट की खुजली के लिए वन तुलसी के बीजो का लेप अत्यंत लाभकारी है!
-तुलसी के रस में जीरा पीसकर उसे गाय के धारोष्ण दूध के साथ सेवन किया जाय तो प्रदर रोग में सुधार होकर स्त्री का स्वस्थ्य सुधरता है!
-प्रसव के समय तीव्र वेदना होने पर तुलसी का रस एक पिलाने से आराम होता है!
6. बच्चों के रोग– छोटे बच्चो के विभिन्न रोगो के उपचार हेतु तुलसी को एक सौम्य तथा निरापद ओषधि के रूप में व्यवहार में लाया जाता है!
– बच्चो को शीतला माता के निकलने पर तुलसी की मंजरी , अजवायन और अदरक समभाग में लेकर दिन में कई बार सेवन करने से लाभ होता है!
-तुलसी पत्र एक तोला, मैथी एक तोला, कूट ६ माशा आधा पाव पानी मैं पकाये!जब चौथाई भाग शेष रह जाए तो छानकर ठंडा करके पिलाये, यह शीतला ज्वर में लाभदायक है !
– बच्चो को सर्दी और खांसी की शिकायत होने पर तुलसी पत्र का रस, अजवायन और अदरक का रस पौन-पौन तोला लेकर खरल कर लेवे और ढाई तोला शहद मिलाकर शीशी में भर लेवे! इसमें से ३० से ६० बून्द तक दिन में तीन बार देने से लाभ होता है!
-तुलसी पत्र, बबूल की कोपल, अजवायन एक एक तोला मिलाकर रख लेवे! इसमें से ६ माशा लेकर १ छटांक जल में पकाये! जब चौथाई रह जाये तो छानकर बच्चो को पिलाये, इससे सभी प्रकार के ज्वर मैं लाभ होता है!
-दांत निकलते समय बच्चो को जोर के दस्त लगते है, उसमे तुलसी के पत्तो का चूर्ण अनार के शर्बत में देना लाभदायक होता है!
7. उदर रोगो में-
– तुलसी के ताजे पत्तो का रस एक तोला प्रतिदिन सुबह सेवन करने से अजीर्ण दूर होता है!
– तुलसी के पंचांग का काढ़ा बनाकर पीने से दस्तो में आराम होता है और पाचन शक्ति बढ़ती है!
– उपर्युक्त काढ़े में एक या दो रत्ती जायफल का चूर्ण मिलकर पीने से दस्तो की कठिन बीमारी में शीघ्र आराम होने लगता है!
-तुलसी व अदरक का रस एक-एक चम्मच मिलाकर दिन में तीन बार पीने से पेट दर्द में लाभ होता है!
– तुलसी के ग्यारह पत्ते लेकर एक माशा बायडबिँग के साथ पीस लेवे, इसको सुबह शाम ताजा पानी के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते है !
– सूखे तुलसी पत्र, सोंठ और गुड मिलाकर बड़ी गोलियां बना लेवे, इनको प्रति दिन इस्तेमाल करने से दस्तो में लाभ होता है!
-तुलसी और सहजन के पत्तो का छटांक भर रस में सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से मंदाग्नि मिटकर दस्त साफ़ होता है!
-तुलसी के सूखे पत्रो का चूर्ण एक माशा , इसबगोल तीन माशा मिलाकर दही के साथ सेवन करने से पतले दस्तो में लाभ होता है!
 8. फोड़ा, घाव और चर्म रोग- तुलसी शोधक और कीटाणु नाशक गुणों से युक्त है, इसकी गंध से कई प्रकार के हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाते है! हर प्रकार के घाव और फोड़ो पर तुलसी का इस्तेमाल लाभदायक सिद्ध होता है! तुलसी की लकड़ी को चन्दन की लकड़ी के समान घिसकर फोड़ो पर लेप करने से शीघ्र लाभ होता है! तुलसी पत्र के काढ़े से धोने पर भी फोड़ो और घावों में लाभ होता है! अगर घाव में कीड़े पड़ गए हो तथा उसमे से बदबू आ रही हो तो तुलसी के सूखे पत्तो को पीसकर छिड़क देना चाहिए!
– तुलसी के पत्तो को निम्बू के रस में पीसकर दाद पर लगाने से आराम मिलता है!
– तुलसी का रस दो भाग और तिल्ली का तेल एक भाग मिलाकर मंद आग पर पकाये! ठीक पक जाने पर छान लेवे, इसके प्रयोग से खुजली और चर्म रोगो में लाभ होता है!
– अग्नि से जल जाने पर तुलसी का रस और नारियल का तेल फेंट कर लगाने से जलन मिट जाती है! यदि फफोला पड़ गया हो या घाव हो तो वो शीघ्र ठीक हो जाता है!
-तुलसी के पत्तो को गंगा जल में पीस कर निरंतर लगाते रहने से सफ़ेद दाद कुछ समय में ठीक हो जाते है!
-बालतोड़ पर तुलसी पत्र और पीपल की कोमल पत्तिया पीसकर लगाने से लाभ मिलता है !
– नाक के भीतर फुंसी हो जाने पर तुलसी पत्र तथा बेर को पीसकर सूंघने और लगाने से लाभ होता है!
-पेट के भीतर फोड़ा या गुल्म में तुलसी पत्र और सोया के शाक का काढ़ा बनाकर उसमे थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर पीना चाहिए!
-तुलसी पत्र और फिटकरी को खूब बारीक पीसकर घाव पर छिड़कने से वह शीघ्र ठीक हो जाता है!
-बालो का झड़ना पर असमय सफ़ेद हो जाना भी एक चर्म विकार है , इसके लिए तुलसी पत्र और सूखे आवले का चूर्ण सर में अच्छी तरह मिलाकर सामान्य तापमान के पानी में धोना चाहिए!
-तुलसी के २०-२५ तोला पत्तो को पीसकर पानी में मिलाकर उसका रस निकाल लेवे फिर आधा सेर रस तथा तिल्ली का तेल मिलाकर आग पर पकाये! पानी जल जाने पर तेल को छानकर बोतल में भर दिया जाये , इस तेल की मालिश से खुजली, खुश्की आदि दूर हो जाती है!
9. मस्तिष्क और स्नायु रोग – मस्तिष्क और ज्ञान तंतुओ की प्रक्रिया बहुत गूढ़ और सूक्ष्म है, तुलसी भी एक सूक्ष्म प्रभाव युक्त दिव्य बूटी है! “तुलसी कवच” में वर्णित तुलसी की महिमा अतयंत अपार है, यह हमारे मस्तिष्क हेतु भी अत्यंत कल्याणकारी है!
– स्वस्थ अवस्था में भी तुलसी के आठ-दस पत्ते और चार-पांच काली मिर्च बारीक घोट -छानकर सुबह लेने से मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है! यदि चाहे तो इस मिश्रण में दो-चार बादाम और इसमें थोड़ा शहद मिलाकर इसे ठंडाई के सामान इस्तेमाल किया जा सकता है!
-प्रातः काल स्नान करने के पश्चात तुलसी के पांच पत्ते जल के साथ निगल लेने से मस्तिष्क की निर्बलता दूर होकर स्मरण शक्ति और मेघा की वृद्धि होती है!
-तुलसी के पत्ते और ब्राम्ही पीसकर छानकर एक गिलास नित्य सेवन करने से मस्तिष्क की निर्बलता से उत्पन्न उन्माद ठीक होता है!
-तुलसी के रस में थोड़ा नमक मिलाकर नाक में दो-चार बून्द टपकाने से मूर्छा और बेहोशी में लाभ होता है!
– तुलसी का श्रद्धा पूर्वक नियमित सेवन सभी ज्ञानेन्द्रियों की क्रिया शुद्ध कर उनकी शक्ति को बढ़ाता है!
10. दांतो की पीड़ा-
– दांतो में दर्द होने पर तुलसी के पत्ते और कालीमिर्च पीस कर गोली बनाकर दर्द के स्थान पर रखने से लाभ होता है!
-तुलसी के पंचांग में कूटकर तोला भर मात्र को आधा सेर पानी में पकाये, आधा पानी जल जाने पर उतार लेवे, इससे कुल्ला करने पर दांतो का दर्द मिटाता है!
11. सर दर्द-
-सर पीड़ा में तुलसी के सूखे पत्तो का चूर्ण अथवा तुलसी के बीजो का चूर्ण कपडे से छानकर सुंघनी की तरह सूंघने से आराम होता है!
-तुलसी पत्र ३५, सफ़ेद मिर्ची १, तुरिअ १० नग इनको जल में पीस कर रस निकालकर नित्य लेने से पुराना सर दर्द दूर हो जाता है!
– तुलसी पत्र और दो-तीन काली मिर्च पीसकर रस निकालकर नस्य लेने से आधा शीशी का दर्द दूर हो जाता है!
– वन तुलसी का फूल और कालीमिर्च को जलते कोयले पर डालकर उसका धुँआ सूंघने से सर का कठिन दर्द ठीक हो जाता है!
-श्यामा तुलसी की जड़ को चन्दन की तरह घिसकर लेप करने से सर दर्द मिटता है!
12. गठिया और जोड़ो का दर्द –
– तुलसी में वात विकार को मिटाने का गुण है! तुलसी के पत्तो का रस नियमित सेवन करने से जोड़ो के दर्द में लाभ रहता है! मोच और चोट पर तुलसी रस की मालिश लाभदायक है!
– तुलसी की जड़, डंठल, मंजरी, पत्ते और बीज इन पांचो को सामान मात्र में लेकर कूट छानकर ६ माशा की मात्रा में उतने ही पुराने गुड के साथ मिला लेवे! इसको प्रातः -सांय दोनों समय बकरी के दूध के साथ सेवन करने से गठिया का रोग दूर होता है!
-वन तुलसी के पंचांग को पानी मैं उबालकर उसका भपारा लेने से लकवा और गठिया में लाभ होता है!
१३ तुलसी के विविध प्रयोग-
-दिन में दो बार , विशेषकर भोजन के घंटे आधे घंटे बाद तुलसी के चार-पांच पत्ते चबा लेने से मुह में दुर्गन्ध आना बंद हो जाती है!
-चारपाई में वनतुलसी रखने से खटमल भाग जाते है, तुलसी की डाल को घर में रखने पर घर में सांप, छछूंदर, मच्छर नहीं आते!
-छाती, पेट तथा पिंडलियों मैं जलन होने पर तुलसी की पत्ते और देवदारु की लकड़ी घिसकर लगाने पर आराम मिलता है!
-गले के दर्द में तुलसी के पत्तो का रस शहद मैं मिलाकर चाटना चाहिए!
-पेचिश, मरोड़ और आवँ आने की शिकायत होने पर तुलसी पत्र सुखा दो माशा, काला नमक एक माशा आधा पाव दही में मिलाकर सेवन करे!
-बवासीर के लिए तुलसी की जड़ तथा नीम की निम्बोलियो की मिंगी सामान भाग में लेकर चूर्ण बना लेवे तथा इसमें से ६ माशा प्रतिदिन छाछ के साथ सेवन करने से लाभ होता है!
–पेट में तिल्ली बढ़ जाने पर तुलसी की जड़, नौसादर, भुना सुहागा और जवाखार बराबर मात्र में लेकर चूर्ण बना लेवे , इसमें से २-३ माशा सुबह ताजा पानी के साथ लेने से आराम होता है!
– देह में पित्ती उठ जाने पर तुलसी के बीज २ माशा आवले के मुरब्बे के साथ मिलाकर सेवन करना चाहिए!
-नेहरू की बीमारी में सूजन के स्थान पर तुलसी की जड़ को घिसकर लेप करना चाहिए! इससे कीड़े का २-३ इंच लम्बा भाग बाहर निकल जायेगा, उसको बांधकर अगले दिन फिर इसी प्रकार लेप करे! इस तरह २-३ दिनों में पूरा कीड़ा बाहर निकल आता है!
-वन तुलसी के पत्ते हैजे में आशार्यजनक प्रभाव दिखलाते है! पत्तो के साथ बीज की गिरी , नीम की छाल, अपामार्ग(आँगा) के बीज, गिलोय , इन्द्रजौ इन सबको मिलाकर दो-तीन तोला करीब तीन पाँव पानी में पकाये , जब पानी आधा रह जाय तो तो तीन तोला की मात्रा में मरीज को लगातार थोड़ी थोड़ी देर में देवे! इस प्रयोग से मरीज की प्राण रक्षा की जा सकती है!
14. तुलसी के विशिष्ट प्रयोग-
-वन्ध्या स्त्रियों की सन्तानोपत्ति हेतु भी तुलसी की विशिष्ट प्रयोग योग्य आयुर्वेदाचार्य द्वारा संभव है!
-मध्यप्रदेश की जनजाति एवं आदिवासियों द्वारा सर्पदंश में तुलसी से प्राण रक्षा की जाती है! ये तुलसी के पत्तो को पीसकर तथा मक्खन मिलाकर सांप के कटे स्थान पर लेप करते है! लेप जब तक काला पड़ता रहता है वे लेप बदलते रहते है! साथ ही पीड़ित को एक मुठी भर कर तुलसी के पत्ते खिला देते है!
उपरोक्त लेख का निर्माण श्री श्रीराम शर्मा आचार्य की पुस्तक “तुलसी के चमत्कारी गुण” से किया गया है! आचार्य जी और अन्य मनीषियों की आप सभी से आशा है की वर्तमान प्रचार के इस युग में हम सभी को तुलसी के माहात्म्य की चर्चा एवं प्रचार प्रसार करना चाहिए! इस प्रकार हम हमारी विराट संस्कृति की सेवा कर सकते है!
सादर!
सुरेन्द्र सिंह चौहान!

तुलसी का पौधा बता देगा, आप पर कोई मुसीबत आने वाली है।

क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया कि आपके घर, परिवार या आप पर कोई मुसीबत आने वाली होती है तो उसका असर सबसे पहले आपके घर में स्थित तुलसी के पौधे पर होता है। आप उस पौधे का कितना भी ध्यान रखें धीरे-धीरे वो पौधा सूखने लगता है। तुलसी का पौधा ऐसा है जो आपको पहले ही बता देगा कि आप पर या आपके घर परिवार को किसी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।
पुराणों और शास्त्रों के अनुसार माना जाए तो ऐसा इसलिए होता है कि जिस घर पर मुसीबत आने वाली होती है उस घर से सबसे पहले लक्ष्मी यानी तुलसी चली जाती है। क्योंकि दरिद्रता, अशांति या क्लेश जहां होता है वहां लक्ष्मी जी का निवास नही होता। अगर ज्योतिष की माने तो ऐसा बुध के कारण होता है। बुध का प्रभाव हरे रंग पर होता है और बुध को पेड़ पौधों का कारक ग्रह माना जाता है।
बुध ऐसा ग्रह है जो अन्य ग्रहों के अच्छे और बुरे प्रभाव जातक तक पहुंचाता है। अगर कोई ग्रह अशुभ फल देगा तो उसका अशुभ प्रभाव बुध के कारक वस्तुओं पर भी होता है। अगर कोई ग्रह शुभ फल देता है तो उसके शुभ प्रभाव से तुलसी का पौधा उत्तरोत्तर बढ़ता रहता है। बुध के प्रभाव से पौधे में फल फूल लगने लगते हैं।प्रतिदिन चार पत्तियां तुलसी की सुबह खाली पेट ग्रहण करने से मधुमेह, रक्त विकार, वात, पित्त आदि दोष दूर होने लगते है मां तुलसी के समीप आसन लगा कर यदि कुछ समय हेतु प्रतिदिन बैठा जाये तो श्वास के रोग अस्थमा आदि से जल्दी छुटकारा मिलता है.
घर में तुलसी के पौधे की उपस्थिति एक वैद्य समान तो है ही यह वास्तु के दोष भी दूर करने में सक्षम है हमारें शास्त्र इस के गुणों से भरे पड़े है जन्म से लेकर मृत्यु तक काम आती है यह तुलसी.... कभी सोचा है कि मामूली सी दिखने वाली यह तुलसी हमारे घर या भवन के समस्त दोष को दूर कर हमारे जीवन को निरोग एवम सुखमय बनाने में सक्षम है माता के समान सुख प्रदान करने वाली तुलसी का वास्तु शास्त्र में विशेष स्थान है हम ऐसे समाज में निवास करते है कि सस्ती वस्तुएं एवम सुलभ सामग्री को शान के विपरीत समझने लगे है महंगी चीजों को हम अपनी प्रतिष्ठा मानते है कुछ भी हो तुलसी का स्थान हमारे शास्त्रों में पूज्यनीय देवी के रूप में है तुलसी को मां शब्द से अलंकृत कर हम नित्य इसकी पूजा आराधना भी करते है इसके गुणों को आधुनिक रसायन शास्त्र भी मानता है इसकी हवा तथा स्पर्श एवम इसका भोग दीर्घ आयु तथा स्वास्थ्य विशेष रूप से वातावरण को शुद्ध करने में सक्षम होता है शास्त्रानुसार तुलसी के विभिन्न प्रकार के पौधे मिलते है उनमें श्रीकृष्ण तुलसी, लक्ष्मी तुलसी, राम तुलसी, भू तुलसी, नील तुलसी, श्वेत तुलसी, रक्त तुलसी, वन तुलसी, ज्ञान तुलसी मुख्य रूप से विद्यमान है सबके गुण अलग अलग है शरीर में नाक कान वायु कफ ज्वर खांसी और दिल की बिमारिओं पर खास प्रभाव डालती है.
वास्तु दोष को दूर करने के लिए तुलसी के पौधे अग्नि कोण अर्थात दक्षिण-पूर्व से लेकर वायव्य उत्तर-पश्चिम तक के खाली स्थान में लगा सकते है यदि खाली जमीन ना हो तो गमलों में भी तुलसी को स्थान दे कर सम्मानित किया जा सकता है.
तुलसी का गमला रसोई के पास रखने से पारिवारिक कलह समाप्त होती है पूर्व दिशा की खिडकी के पास रखने से पुत्र यदि जिद्दी हो तो उसका हठ दूर होता है यदि घर की कोई सन्तान अपनी मर्यादा से बाहर है अर्थात नियंत्रण में नहीं है तो पूर्व दिशा में रखे तुलसी के पौधे में से तीन पत्ते किसी ना किसी रूप में सन्तान को खिलाने से सन्तान आज्ञानुसार व्यवहार करने लगती है.
कन्या के विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो अग्नि कोण में तुलसी के पौधे को कन्या नित्य जल अर्पण कर एक प्रदक्षिणा करने से विवाह जल्दी और अनुकूल स्थान में होता है सारी बाधाए दूर होती है.
यदि कारोबार ठीक नहीं चल रहा तो दक्षिण-पश्चिम में रखे तुलसी कि गमले पर प्रति शुक्रवार को सुबह कच्चा दूध अर्पण करे व मिठाई का भोग रख कर किसी सुहागिन स्त्री को मीठी वस्तु देने से व्यवसाय में सफलता मिलती है
नौकरी में यदि उच्चाधिकारी की वजह से परेशानी हो तो ऑफिस में खाली जमीन या किसी गमले आदि जहाँ पर भी मिटटी हो वहां पर सोमवार को तुलसी के सोलह बीज किसी सफेद कपडे में बाँध कर सुबह दबा दे सम्मन की वृद्धि होगी. नित्य पंचामृत बना कर यदि घर कि महिला शालिग्राम जी का अभिषेक करती है तो घर में वास्तु दोष हो ही नहीं सकता...
[ समस्त उपाय अवश्य करें।]
असाध्य रोगों को भी जड़ से खत्म करने में सक्षम तुलसी
तुलसी अत्यंत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी पौधा है। इसके सभी भाग अलौकिक शक्ति और तत्वों से परिपूर्ण माने गए हैं। तुलसी के पौधे से निकलने वाली सुगंध वातावरण को शुध्द रखने में तो अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती ही है, भारत में आयुर्वेद चिकित्सा पध्दति में भी तुलसी का बहुत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। तुलसी का सदियों में औषधीय रूप में प्रयोग होता चला आ रहा है। तुलसी दल का प्रयोग खांसी, विष, श्वांस, कफ, बात, हिचकी और भोज्य पदार्थों की दुर्गन्ध को दूर करता है। इसके अलावा तुलसी बलवर्ध्दक होती है तथा सिरदर्द स्मरण शक्ति, आंखों में जलन, मुंह में छाले, दमा, ज्वर, पेशाब में जलन व विभिन्न प्रकार के रक्त व हृदय संबंधी बीमारियों को दूर करने में भी सहायक है। तुलसी में छोटे-छोटे रोगों से लेकर असाध्य रोगों को भी जड़ में खत्म कर देने की अद्भुत क्षमता है। इसके गुणों को जानकर और तुलसी का उचित उपयोग कर हमें अत्यधिक लाभ मिल सकता है। तो लीजिए डाल लेते है तुलसी के महत्वपूर्ण औषधीय उपयोगी एवं गुणों पर एक नजर :-
* श्वेत तुलसी बच्चों के कफ विकार, सर्दी, खांसी इत्यादि में लाभदायक है।
* कफ निवारणार्थ तुलसी को काली मिर्च पाउडर के साथ लेने से बहुत लाभ होता है।
* गले में सूजन तथा गले की खराश दूर करने के लिए तुलसी के बीज का सेवन शक्कर के साथ करने से बहुत राहत मिलती।
* तुलसी के पत्तों को काली मिर्च, सौंठ तथा चीनी के साथ पानी में उबालकर पीने में खांसी, जुकाम, फ्लू और बुखार में फायदा पहुंचता है।
* पेट में दर्द होने पर तुलसी रस और अदरक का रस समान मात्रा में लेने से दर्द में राहत मिलती है। इसके उपयोग से पाचन क्रिया में भी सुधार होता है।
* कान के साधारण दर्द में तुलसी की पत्तियों का रस गुनगुना करके डाले।
* नित्य प्रति तुलसी की पत्तियां चबाकर खाने से रक्त साफ होता है।
* चर्म रोग होने पर तुलसी के पत्तों के रस के नींबू के रस में मिलाकर लगाने से फायदा होता है।
* तुलसी के पत्तों का रस पीने से शरीर में ताकत और स्मरण शक्ति में वृध्दि होती है।
* प्रसव के समय स्त्रियों को तुलसी के पत्तों का रस देन से प्रसव पीड़ा कम होती है।
* तुलसी की जड़ का चूर्ण पान में रखकर खिलाने से स्त्रियों का अनावश्यक रक्तस्राव बंद होता है।
* जहरीले कीड़े या सांप के काटने पर तुलसी की जड़ पीसकर काटे गए स्थान पर लगाने से दर्द में राहत मिलती है।
* फोड़े फुंसी आदि पर तुलसी के पत्तो का लेप लाभदायक होता है।
* तुलसी की मंजरी और अजवायन देने से चेचक का प्रभाव कम होता है।
* सफेद दाग, झाईयां, कील, मुंहासे आदि हो जाने पर तुलसी के रस में समान भाग नींबू का रस मिलाकर 24 घंट तक धूप में रखे। थोड़ा गाढ़ा होने पर चेहरे पर लगाएं। इसके नियमित प्रयोग से झाईयां, काले दाग, कीले आदि नष्ट होकर चेहरा बेदाग हो जाता है।
* तुलसी के बीजों का सेवन दूध के साथ करने से पुरुषों में बल, वीर्य और संतोनोत्पति की क्षमता में वृध्दि होती है।
* तुलसी का प्रयोग मलेरिया बुखार के प्रकोप को भी कम करता है।
* तुलसी का शर्बत, अबलेह इत्यादि बनाकर पीने से मन शांत रहता है।
* आलस्य निराशा, कफ, सिरदर्द, जुकाम, खांसी, शरीर की ऐठन, अकड़न इत्यादि बीमारियों को दूर करने के लिए तुलसी की जाय का सेवन करें।
धूम्रपान का त्याग अस्थमा में बचाव
अस्थमा की संभावना को कम करने के लिये तथा उस पर नियंत्रण पाने के लिये सबसे जरूरी है धूम्रपान का त्याग। यह न केवल धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करता है बल्कि उसके आसपास रहने वाले व्यक्ति भी इसके बुरे प्रभाव से बचे नहीं रहते। इसके अलावा अस्थमा के दौरे पर नियंत्रण के लिये किसी अच्छे चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। साफ व प्रदूषणरहित वातावरण में रहें। जिस खाद्य या पेय पदार्थ से आपको एलर्जी है, उसका सेवन न करें। पालतू पशुओं से दूरी बनाए रखें।
अच्छी नींद के लिये
नींद के प्रति सकारात्मक रवैये अधिक महत्वपूर्ण है बजाय कृत्रिम उपायों द्वारा नींद लेने के। अच्छी नींद के लिये इन उपायों पर गौर फरमाएं :-
* अनिद्रा रोग में निद्रा न आने की चिन्ता से तबीयत बिगड़ती है। आप आराम से लेटे रहिये और इस बात की चिन्ता मत कीजिए कि आपको नींद नहीं आती।
* प्रत्यन कीजिए कि सोने से पहले आप दिनभर की कठिनाइयों और आने वाले कल के बारे में न सोचें।
* कोई अच्छी पुस्तक पढ़ने का यत्न कीजिए। इससे अनिद्रा या चिन्ता संबंधी विचार एक तरफ हट जाएंगे और नींद आ जाएगी।
शहद के कुछ औषधीय प्रयोग
* शहद आंतों को शक्ति और बल प्रदान करता है। शहद का सेवन करने से आंतों में विषाक्त द्रव्य जमा नहीं होते। यह कृमियों को भी मारता है।
* पुराने रोग, पुरानी कब्ज, अतिसार तथा प्रवाहिका के लिये भी शहद उपयोगी सिध्द होता है।
* शहद के सेवन से छाती में जमा बलगम सरलता से बाहर निकल जाता है। इससे दमा व खांसी के रोगी को बहुत राहत मिलती है।
* शहद क्षय रोग में भी लाभ पहुंचाता है।
* शहद के सेवन से दिमाग तरोताजा और तंदरुस्त रहता है। शहद उन लोगों के लिए तो बहुत लाभप्रद है, जो दिमागी कार्य करते हैं।
कुछ मित्रो ने इसे अन्ध विश्वास करार दिया है सो ये उनकी सोच हो सकती है | इसमें किसी को बाध्य भी नहीं किया गया है । तुलसी की देखभाल , उपाय के बारे में जानकारी दी गई है । ये तो पुराणों में भी लिखा हुआ है कि तुलसी का महत्व क्या है । हिन्दू होकर भी अगर प्रतिकूल विचार रखते हो तो धन्य है आप ।

हर रंग देगा सेहत की सौगात

 



इंद्रधनुषी रंग हमारे जीवन को खूबसूरत तो बनाते ही हैंहमारे भोजन में अगर ये सही मात्रा में शामिल हों तो शरीर को स्वस्थ और ऊर्जावान भी बनाते हैं।
रंगों के इस्तेमाल से की जाने वाली चिकित्सा पद्धति बरसों पुरानी है। हर रंग किसी खास समस्या में लाभ देता है। सतरंगी रंगों के भोजन से सजी थाली देखने में ही इतनी सुंदर लगती है कि उसे देखते ही भूख बढ़ जाती है। विभिन्न रंगों के भोजन को थाली में नियमित रूप से शामिल करके स्वस्थ रहा जा सकता है। यह इस बात का संकेत है कि हमारा भोजन हर प्रकार के पोषण से परिपूर्ण है।

डाइटीशियन सोनिया नारंग के अनुसार, ‘हमारे शरीर में सात चक्रों में ऊर्जा प्रवाहित होती है। कलर थेरेपी हमारे शरीर के इन चक्रों को संतुलित करती है। हर चक्र एक खास रंग का प्रतिनिधित्व करता है। अपने भोजन में इन रंगों को शामिल करके इन चक्रों को संतुलित किया जा सकता है। यह केवल हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को ही नहींबल्कि हमारे मानसिकभावनात्मक और बौद्धिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहद जरूरी है। पीलेहरे और नीले रंगों के खाद्य पदार्थ शरीर और ऊर्जा के स्तर को स्वस्थ और संतुलित रखने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है। इन्हें अपने भोजन में प्रचुर मात्रा में शामिल करने की कोशिश करें। लालबैंगनी,और नारंगी रंगों के खाद्य पदाथरें को सीमित मात्रा में लिया जाना चाहिए।
सेहत हो जाएगी सतरंगी
नीला और बैंगनी - जामुनअंगूरब्लूबेरी और बैंगन जैसी चीजों के रूप में हम अपने भोजन में नीला और बैंगनी रंग को शामिल कर सकते हैं। इनमें ल्यूटेनऐलेगिक एसिडफाइबर आदि कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं। ये रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ानेकैल्शियम और खनिज के अवशोषण और पाचन शक्ति को सुधारने में मदद करते हैं।
हरा - हमारे शरीर को इस रंग के भोजन की भरपूर मात्रा में जरूरत होती है। हरी सब्जियों के रूप में हरे रंग को अपने आहार का हिस्सा बनाया जा सकता है। हरी सब्जियों में मौजूद क्लोरोफिलपौधों की तरह हमारे शरीर में भी ऊर्जा भरता है। इनसे भरपूर मात्रा में विटामिन एसीकैल्शियमफाइबर आदि कई पोषक तत्व मिलते हैं। हरी सब्जियां आंखों की रोशनी को सुधारनेरक्तचाप और कॉलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और कैंसर पैदा करने वाले फ्री-रेडिकल्स को नष्ट करने में मदद करती हैं।
लाल - लाल रंग के खाद्य पदार्थों की बात करते ही टमाटरअनारस्ट्रॉबेरीतरबूजगाजरचेरी जैसी चीजें याद आ जाती हैं। ये सभी पोषण से भरपूर हैं। खासतौर पर अनार तो आहार विशेषज्ञों का पसंदीदा है। विटामिन सीविटामिन बीखनिज और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर अनार त्वचा को खूबसूरत और चमकदार बनाने में सहायक होता है। टमाटर में मौजूद लाइकोपीन दिल की सेहत को सुधारने और प्रोस्टेट कैंसर से बचाव में सहायक है।
पीला - आमअन्ननासनीबूपीली शिमला मिर्चसरसोंपपीता आदि के रूप में पीले खाद्य पदार्थों को अपने आहार का हिस्सा बनाएं। बीटा कैरोटीनपोटैशियमविटामिन सी आदि कई पोषक तत्वों से भरपूर पीले रंग के आहार से शरीर को कई फायदे मिलते हैं। ये त्वचा के लचीलेपन के लिए जरूरी कोलाजन के निर्माण और हड्डियों की सेहत के लिए फायदेमंद हैं। इनमें ब्रोमीलेन भी पाया जाता हैजो सूजनरोधी गुण के कारण गठिया की समस्या में लाभ पहुंचाता है।
नारंगी - कद्दू या सीताफलसंतरापीली गाजर जैसी नारंगी रंग की फल-सब्जियों में बीटा कैरोटीन नाम का फाइटोन्यूट्रिएंट होता हैजो विटामिन ए के रूप में परिवर्तित हो जाता है। सीताफल की एक कटोरी सब्जी से चार गुणा जरूरी विटामिन ए और विटामिन सी मिल जाता है। यह नेत्रहीनता और मांसपेशियों की क्षति के खतरे को कम करता है। विटामिन सी और ए से भरपूर संतरे में फोलेट भी होता है जो दिल की बीमारियोंकैंसर और स्ट्रोक जैसी बीमारियों के खतरे को कम करता है।
सफेद - मूलीलहसुनगोभीसफेद प्याज जैसे सफेद खाद्य पदार्थ शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ानेवायरल और फंगल संक्रमणों और सूजन को कम करने में फायदेमंद माने जाते हैं। इनमें मौजूद पोषक तत्व कोलोनब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम करने में मदद करते हैं और हार्मोन के संतुलन को बनाए रखते हैं।
इस प्रकार करें इन्हें शामिल 
अपने भोजन में जितना हो सके उतने रंगों के आहार को शामिल करने की कोशिश करें। आपकी यह कोशिश आपको इस बात की गारंटी देगी कि आप और आपका परिवार एक सेहतमंद जिंदगी जी सके। अपने दिन की शुरुआत टमाटरगाजर और चुकंदर के लाल-नारंगी जूस से कर सकती हैं। दोपहर के भोजन में सलाद के रूप में विभिन्न रंगों की सब्जियां ली जा सकती हैं। पीली शिमला मिर्चहरी ब्रोकलीबीन्स,पत्ता गोभी आदि मिक्स वेजिटेबल के रूप में ले सकती हैं या इन्हें रायतादलियाखिचड़ी में शामिल किया जा सकता है। विभिन्न रंगों के फलों से बने शेक्स स्वादिष्ट होने के साथ ही पोषण की जरूरत को भी पूरा करते हैं।

दांतों को सफेद रखने के लिए अपनाएं

 

हल्दी दांतों के लिए फायदेमंद मानी जाती है। आधा टी-स्पून हल्दी में कुछ बूंद पानी की मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बनाएं। इसमें अपने टूथब्रश को डिप करें तथा दांतों को साफ करें। करीब दो से तीन मिनट तक इससे ब्रश करते रहें।
इसके बाद हो सकता है आपके दांत कुछ पीले हों जाएंलेकिन अच्छी तरह कुल्ला करने के बाद आपके दांत मोतियों से चमक उठेंगे। दंत चिकित्सा में भी साबित हो चुका है कि दांतों की सुरक्षा के लिए यह बेजोड़ नुस्खा है।


अडूसा -लंबे समय से चली आ रही खांसी, सांस की समस्या और कुकुर खांसी जैसी समस्या के निवारण के लिए

मध्य और पश्चिम भारत के वनों में प्रचुरता से पाए जाने अडूसा को आदिवासी अनेक हर्बल नुस्खों के तौर पर अपनाते हैं। प्राचीन काल से अडूसा का उपयोग कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता रहा है और इस जिक्र आयुर्वेद में भी मिलता है। अडूसा का वानस्पतिक नाम अधाटोड़ा जियलेनिका है।

कफ को दूर करने के लिए अडूसा की पत्तियों के रस को शहद में मिलाकर दिया जाता है। कम से कम 15 पत्तियों को कुचल कर और इसमें दो चम्मच शहद मिलाकर रोगी को हर चार घंटे के अंतराल से दिया जाए तो खांसी में तेजी से आराम मिलता है। इसी नुस्खे से अस्थमा का इलाज भी होता है। 

आदिवासी टी.बी के मरीजों को अडूसा की पत्तियों का काढ़ा बनाकर 100 मिली रोज पीने की सलाह देते हैं। करीब 50 ग्राम पत्तियों को 200 मिली पानी में डालकर उबालने के बाद जब यह आधा बचेतो रोगी को देना चाहिए। इससे काफी आराम मिलता है। 

अडूसा फेफड़ों में जमी कफ और गंदगी को बाहर निकालता है। इसी गुण के कारण इसे ब्रोंकाइटिस के इलाज का रामबाण माना जाता है। बाजार में बिकनेवाली अधिकतर कफ की आयुर्वेदिक दवाइयों में अडूसा का प्रयोग किया जाता है। 

दमा के रोगी यदि अनंतमूल की जड़ों और अडूसा के पत्तियों की समान मात्रा (3-3 ग्राम) लेकर दूध में उबालकर पिएं तो फ़ायदा होता है। ऐसा कम से कम एक सप्ताह तक किया जाना जरूरी है। 

अडूसा की पत्तियों में कुछ ऐसे एलक्लॉइड होते हैं जिनके कारण कीड़ों और सूक्ष्मजीवियों का आक्रमण इस पौधे पर नहीं होता है। आदिवासी कान में होने वाले संक्रमण को ठीक करने के लिए अडूसा की पत्तियों को पीसकर तिल के तेल में उबालते हैं और इस मिश्रण को हल्का गुनगुना होने पर छानकर कुछ बूंदें कान में डालते हैं। इससे कान के दर्द में काफी राहत मिलती है।

दिल के मरीजों को अड़ूसा की पत्तियों और अंगूर के फलों का रस मिलाकर पीना चाहिए। आदिवासियों के अनुसारहृदय रोग में इस नुस्खे का इस्तेमाल बेहद कारगर होता है।

अडूसा के फलों को छाया में सुखाकर और महीन पीसकर 10 ग्राम चूर्ण में थोड़ा गुड़ मिलाकरखुराक बनाकर सिरदर्द होते ही एक खुराक खिला दिया जाए तो तुरंत लाभ होता है।

बच की जड़ेंब्राह्मी की पत्तियांपिपली के फलहर्रा के फल और अडूसा की पत्तियों की समान मात्रा को पीसकर इस मिश्रण को लेने से गले की समस्या में अतिशीघ्र आराम मिलता है।

लंबे समय से चली आ रही खांसीसांस की समस्या और कुकुर खांसी जैसी समस्या के निवारण के लिए अडूसा की पत्तियो और अदरक के रस की सामान मात्रा (मिली) दिन में तीन बार एक माह तक लगातार दिया जाना चाहिए।

अडूसा

 

           
विवरण - अडूसा वृक्ष छोटा होता है | पत्ते हरे होते हैं , परंतु पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं | फूल सफेद होते हैं | फूल तोड कर दबाने से डण्डी से शहद के समान मीठा सफेद रस निकलता है | अडूसा का फूल तपेदिक और सफरा रोग को शाँत करता है | अडूसा का अर्क सेंधा नमक मिलाकर गरम कर पीने से खाँसी दूर हो जाए | अडूसा के पत्तों के काढे से कुल्ली करने से दाँतों का रोग और मुँह के रोग जाता रहता है | अडूसा के पत्तों के रस में अथवा अडूसा की जड के काढा में अभ्रक अथवा कांतिसार मिलाकर सेवन करने से दमा, खाँसी , कमलवाय ,प्रमेह और मूत्राघात ,कफ ज्वर दूर होता है | इसकी छेः माशे की मात्रा है | अडूसा के पके पत्ते में सेंधा नमक मिला कर कपडमिट्टी कर अन्ने कण्डों में फूँकने से भष्म होती है | उस एक रत्ती भर खाने से खाँसी शाँत होती है | अडूसा का सत्त शहद के साथ चाटने से नकसीर रोग और दमा रोग दूर होता है | अडूसा से शीशा भी भष्म हो जाता है |अडूसे का काढा नमक मिला कर पीने से पेचिश रोग दूर हो जाती है | 2 तोले अडूसे की छाल 12 तोले पानी में रत भर भिगो दे प्रातः छान कर काली मिर्च का चूर्ण मिला कर पीने से पित्त ज्वर दूर होता है | अडूसे के काढा से कुल्ला करने से या भाप लेने से मसूडों की सूजन और मुख के छाले दूर होते हैं | अडूसे की क्षार खाँसी ,दमा ,पेट की पीडा को दूर करता है | अडूसा की छाल , मुनक्का और हर्रा का छिलका का काढा मुँह से खून निकलने को बन्द करता है | अडूसे के पत्तों का काढा दिल की धडकन को ठीक करता है | काढा पीने के बाद एक छटाँक मुनक्का खाना चाहिये | खाने के लिये फल और दूध देना चाहिये | अडूसे की जड की लेप से विषैले कीडे की जलन दूर होती है | कई दिनों तक लेप करने से फोडा पक कर फूट जाता है | अडूसे की चाय बनाकर पीने से निद्रा आती है | अडूसे की काढा का नश्य लेने से नाक से खून का गिरना बन्द हो जाता है | अडूसे चाय 15 दिनों में शरीर की रूक्षता(खुश्की) को दूर करती है | अडूसे के 1 सेर पत्तों को कूट कर 4 सेर पानी में काढा करे 1 सेर पानी रह जाने पर छान ले बाद में 3 माशा फिटकरी ,2 माशा हर्रे का चूर्ण और 4 रत्ती अफिम मिला कर फिर पकावे जब गाढा हो जाय तो गोली बना ले , इस गोली को पानी में घीस कर लेप करने से आँखों  का दुखना ,लाली ,सूजन ,दर्द और पानी का बहना आदि रोग दूर हो जाते हैं |

Sunday, August 2, 2015

बस एक मिस कॉल और जानिए आपके खाते में कितना पैसा जमा है-

नई दिल्ली: बैंकिंग सहूलियतें कितनी आसान हो गई हैं इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अब आपको अपने बैंक का बैलेंस जानने के लिए एटीएम तक जाने की जरूरत नहीं है। अब आप बस एक मिस कॉल देकर ही अपने खाते में जमा राशि के बारे में जान सकते हैं।
अहम बात यह है कि आप जिस नंबर से मिस कॉल दे रहे हैं वो आपके खाते से जुड़ा हुआ होना चाहिए। नहीं तो आपको मिस कॉल का जवाब नहीं आएगा। यह कोई फर्जीवाड़ा नहीं है बल्कि इसके लिए बैंकों के आधिकारिक नंबरों की बाकायदा सूची भी जारी की गई है। सूची में देखिए आपके बैंक का नंबर कौन सा है और मिस कॉल देकर जानिए आपके खाते में फिलहाल कितना पैसा है।
जानिए क्या है आपके बैंक का नंबर-
  1.     पंजाब नेशनल बैंक (Panjab National Bank) – 18001802222
  2.     आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) – 02230256767, अंतिम तीन लेनदेनों के लिए – 02230256868
  3.     ऐक्स‍िस बैंक‍ (Axis Bank) – 09225892258
  4.     आंध्रा बैंक (Andhra Bank) – 09223011300
  5.     बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda) – 09223011311
  6.     एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) – 18002703333, अंतिम तीन लेनदेनों के लिए – 18002703355
  7.     यस बैंक (Yes Bank) – 09840909000
  8.     स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank of India – SBI) – 9223866666
  9.     यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (Union Bank of India) – 09223009292
  10.     यूको बैंक (UCO Bank) – 09278792787
  11.     विजया बैंक (Vijaya Bank) – 18002665555, अंतिम 7 लेनदेनों के लिए – 18002665556
  12.     आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) – 09212993399
  13.     इलाहाबाद बैंक (Allahabad Bank) – 09224150150
  14.     धनलक्ष्मी बैंक (Dhanlaxmi Bank) – 08067747700
  15.     बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) – 02233598548
  16.     सिंडीकेट बैंक (Syndicate Bank) – 09664552255
  17.     केनरा बैंक (Canara Bank) – 09289292892
  18.     कोटक महींद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) – 18002740110
  19.     भारतीय महिला बैंक (Bharatiya Mahila Bank) -09212438888
  20.     सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) – 09222250000
  21.     कर्नाटका बैंक (Karnataka Bank) -18004251445, मिनी स्टेटमेंट के लिए – 18004251446
  22.     इंडियन बैंक (Indian Bank) – 09289592895

Saturday, May 9, 2015

ये हैं ऑनलाइन कमाई के तरीके, GOOGLE भी देता है कमाने का मौका


इंटरनेट पर टाइम बिताने के साथ ही कमाई भी हो जाए तो किसे बुरा लगेगा। इसके लिए आपको कहीं जाने की भी जरूरत नहीं, बल्कि ये कमाई घर बैठे की जा सकती है। आज हम आपको ऐसा ही Make Money Online तरीका बता रहे हैं। गूगल की कुछ सुविधाएं ऐसी हैं जिनके जरिए आप पैसा कमा सकते हैं।
क्या करना होगा
Google Adsense दुनिया का सबसे बड़ा व ज्यादा पैसे देने वाला Ads Network है। आप को करना यह है की जब आप अपना ब्लॉग बना लें तो आप को Google Adsenseके लिए apply करना है और googleद्वारा मान्यता प्राप्त होने पर आप को अपने ब्लॉग मेंGoogle की Advertisement करनी है। यानि Google Adsenseद्वारा बनाए गए विज्ञापनों का Code अपने ब्लॉग में लगाना होगा, जैसे ही आपके ब्लॉग मैं ads चलना शुरू होगा आप पैसे कमाने लगेंगे। Google ये पैसे आप को हर महीने में देता है जो कि सीधे आप के Bank Account में आते हैं। गूगल चेक के जरिए भी आपको भुगतान कर सकता है।
क्या है शर्त
इस तरह पैसा कमाने को लेकर गूगल की एक शर्त होती है। गूगल से पेमेंट लेने के लिए आपको अपने अकाउंट में 100 डॉलर(उस दिन की कीमत अनुसार) यानी करीब 6300 रुपए रखने होंगे। तब ही गूगल आप को पैसे भेजेगा। अगर गूगल से हुई आपकी कमाई 100 डॉलर से कम होगी तो गूगल आपके अकाउंट में पैसे ट्रांसफर नहीं करेगा। हर महीने के हिसाब से आप गूगल एडसेंस से आप जितना कमाओगे वो आपके गूगल खाते में जुड़ता रहेगा। लेकिन, 100 डॉलर होने तक गूगल उसे आपके पर्सनल अकाउंट में नहीं भेजेगा।
कैसे मिलता है विज्ञापन
गूगल एडसेंस(Google adsense) आपको कई तरह के विज्ञापन देता है जैसे वीडियो, चित्र, टेक्स्ट, बैनर इत्यादि। आप इनमे से अपने लिए बेहतर विज्ञापन चुने और अपने ब्लॉग पर लगाएं।

Affiliates Marketing
Affiliates Marketing द्वारा भी आप अच्छा खासा पैसा कमा सकते हैं। आज कल कमाई का ये सबसे अच्छा तरीका है। काफी लोगों ने इसके जरिए हजारों नहीं बल्कि लाखों रुपए तक की कमाई की है। Affiliates Marketing के द्वारा हर वह Company अपने Affiliates को पैसा देती है जो ग्राहक को अपना सामान ऑनलाइन बेचती है। ई-कॉमर्स मार्केट में हर बड़ी कंपनी अपना सामान ऑनलाइन बेच रही है। इनमें– फ्लिपकार्ट, ईबे, अमेजन, येपमी, स्नैपडील, होमशॉप18 और बुकिंग डॉट कॉम, मेक माय ट्रिप और यात्रा डॉट कॉम जैसी कंपनियां शामिल हैं।
क्या करना होगा
आप को न तो इन कंपनियों का प्रॉडक्ट बेचना है और ना ही कस्टमर बनाने हैं। आपको बस इन वेबसाइट्स में जाकर आपना Affiliate account खोलना है। वहां से उनके प्रोडक्टस के Advertisement Code को अपने ब्लॉग में लगाना है। code लगते ही आप के ब्लॉग में उनके ads शुरू हो जाएगा। जैसे ही कोई विजिटर उन ads पर क्लिक करेगा तो वह सीधे Company की वेबसाइट पर पहुंच जाएगा। वहां जाकर यदि उसे कोई भी product पसंद आता है और वह उसे खरीद लेता है तो कंपनी उस प्रॉडक्ट की कुल कीमत का 5 से 50 फीसदी या उससे भी अधिक पैसा आपको देगी।

ये भी हैं तरीके
गूगल चेकआउट(Google Checkout)- जिस तरह बैंकिग सर्विसेज में पैसे के लेन-देन पर कुछ शुल्क बैंकों के पास जाता है उसी तरह अगर आप गूगल चेकऑउट का इस्तेमाल ऑनलाइन पेमेंट के लिए करते हैं तो आपको भी फायदा होगा। इससे जैसे-जैसे गूगल का वेब बिजनेस ट्रांजैक्शन बढ़ता है, वैसे-वैसे यूजर की इनकम भी बढ़ती है। गूगल इसके लिए आपको अलग से पे करता है।
बायसेल ऐड- यह भी एक ऑनलाइन मार्केटिंग का जरिया है। इसके जरिए सीधे विज्ञापन बेचे जा सकते हैं। आपके ब्लॉग को दिए गए विज्ञापन की एवज में यह अपनी कमीशन लेते हैं। इसके विज्ञापनदाता से आपका सीधा संपर्क नहीं होता।


17 की उम्र में शुरू किया बिजनेस, बिना डिग्री खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी

सिर्फ एमबीए की डिग्री या कॉरर्रेट जॉब्स के अनुभवी ही सफल उद्यमी बन सकते हैं, यह सच नहीं है। 17 साल की उम्र में कॉलेज ड्रॉप आउट रितेश अग्रवाल ने बिना किसी आर्थिक सहयोग के शुरू किए गए अपने व्यवसाय को महज चार साल में उत्कृष्ट ऊंचाइयों पर पहुंचा कर इस सोच को बदला है। आज रितेश 21 साल के हो चुके हैं और उनकी कंपनी करोड़ों की।
कंपनी : ओरावेल
संस्थापक : रितेश अग्रवाल
क्या खास : देश के 300 मिलियन घरेलू और 6 मिलियन विदेशी पर्यटकों को आरामदायक और किफायती बेड एंड ब्रेकफास्ट की सुविधा, उसी क्षेत्र में समान सेवाएं प्रदान करने वाले होटलों की आधी कीमत में उपलब्ध करवाना।
ओडिशा के बिस्सम कटक गांव में जन्मे रितेश अग्रवाल ने अपनी स्कूली शिक्षा रायगड़ा के सेक्रेड हार्ट स्कूल से की। मिजाज से घुमक्कड़ रितेश छोटी उम्र से ही बिल गेट्स, स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग से बहुत प्रेरित थे और वेदांता के अनिल अग्रवाल को अपना आदर्श मानता थे। आम युवाओं की तरह रितेश भी स्कूल पूरा करने के बाद आईआईटी में इंजीनियरिंग की सीट हासिल करना चाहता थे। इसके लिए उन्होंने कोचिंग इंस्टीट्यूट भी ज्वाइन किया, लेकिन सफल न हो सके। फिर यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में दाखिला ले लिया।17 की उम्र में शुरू किया बिजनेस, बिना डिग्री खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी
सफर के दौरान मिला आइडिया
रितेश को यात्राओं का भी काफी शौक था। 2009 में उन्हें देहरादून और मसूरी जाने का मौका मिला। यहां उन्हें महसूस हुआ कि कई ऐसी खूबसूरत जगहें हैं जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। दूसरी ओर ट्रैवल करते-करते ठहरने की व्यवस्था करने से जुड़े कई और मसलों का सामना भी रितेश को करना पड़ा। कई बार उन्हें बहुत ज्यादा रुपए लेकर कोई बेकार सी जगह दे दी जाती थी तो कभी-कभी कम कीमत में अच्छी जगह भी मिल जाया करती थी। ऐसे ही अनुभवों ने रितेश को प्रेरित किया और उसने एक ऑनलाइन सोशल कम्यूनिटी बनाने के बारे में सोचा जहां एक ही प्लेटफॉर्म पर प्रॉपर्टी के मालिकों और सर्विस प्रोवाइडर्स की सहायता से पर्यटकों को बेड एंड ब्रेकफास्ट के साथ रहने की किफायती सुविधा मुहैया करवाई जा सके।
अपने इस आइडिया को मूर्त रूप देने के लिए रितेश ने पढ़ाई छोड़ने का फैसला ले लिया। रितेश के अनुसार, वह सिर्फ दो दिन ही लंदन यूनिवर्सिटी के दिल्ली कैंपस गए, उसके बाद कभी नहीं। उसके इस फैसले से माता-पिता शुरू में बिल्कुल खुश नहीं थे लेकिन जब उन्हें रितेश का पूरा आइडिया समझ आया तो उन्होंने उनका पूरा साथ दिया और उन्हें प्रेरित भी किया।17 की उम्र में शुरू किया बिजनेस, बिना डिग्री खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी
छोटी उम्र में बड़ा जोखिम
वर्ष 2011 में रितेश ने ओरावेल की शुरुआत की। रितेश के आइडिया से प्रभावित होकर गुड़गांव के मनीष सिन्हा ने ओरावेल में निवेश किया और को-फाउंडर बन गए। फिर 2012 में ओरावेल को आर्थिक मजबूती मिली जब देश के पहले एंजल आधारित स्टार्ट-अप एक्सलेरेटर वेंचर नर्सरी एंजल से बुनियादी पूंजी प्राप्त हुई। हालांकि, वेंचर को खड़ा करने में रितेश को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा जिनमें प्रमुख थीं फंडिंग, मार्केटिंग और प्रॉपर्टी के मालिकों और निवेशकों तक पहुंचना। अपने अनुभवों के बारे में बताते हुए वे कहते हैं कि आर्थिक रूप से मजबूत पृष्ठभूमि के अभाव में किसी के लिए भी अपनी कंपनी शुरू करना मुश्किल हो सकता है और एक स्टूडेंट के लिए तो यह और भी बड़ा जोखिम होता है। पढ़ाई की चूहा दौड़ छूट जाती है और आप एक नई दौड़ में शामिल हो जाते हैं।
यहां आपकी जीत में आर्थिक सहयोग अहम भूमिका निभाता है लेकिन स्टूडेंट्स को यह मदद आसानी से नहीं मिलती। इसके अलावा छोटी उम्र भी बड़ी बाधा बन सकती है क्योंकि साथ काम करने वाले प्रोफेशनल्स उम्र में कहीं ज्यादा होते हैं और आपको गंभीरता से नहीं लेते हैं।
नेटवर्किंग की नींव पर बड़े नतीजे
मुश्किलों को हराने की ठान चुके रितेश को महसूस हुआ कि अपना नेटवर्क खड़ा करना और समान लक्ष्य वाले लोगों को खोजना एक अच्छा आइडिया साबित हो सकता है। रितेश की अथक मेहनत का ही नतीजा है कि गुड़गांव स्थित ओरावेल तरक्की की राह पर अग्रसर है। इस वर्ष की शुरुआत में कंपनी ने अपना बिजनेस मॉडल एक ऐसे मुकाम पर पहुंचाया जहां वह अपने ब्रांड ओयो रूम्स के तहत दिल्ली, नोएडा और गुड़गांव में ब्रांडेड और स्टैंडर्डाइज्ड बजटअकोमेडेशन की सुविधा उपलब्ध करवाने में सफल रहा है। वर्तमान में कंपनी हर माह 1 करोड़ रुपए की बुकिंग कर रही है। भविष्य की योजना के बारे में बताते हुए रितेश कहते हैं कि वे देश के करीब दस और शहरों में अपना कारोबार फैलाने की तैयारी कर रहे हैं।17 की उम्र में शुरू किया बिजनेस, बिना डिग्री खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी
थिएल फेलोशिप जीतने वाले पहले भारतीय
वेंचर की नींव को मजबूती प्रदान करने के प्रयास के दौरान रितेश को 20 अंडर 20 थिएल फेलोशिप के बारे में जानने का मौका मिला। इस फेलोशिप के जरिए दुनिया से 20 वर्ष से कम उम्र के ऐसे 20 आंत्रप्रेन्योर को चुना जाता है जो अपना बिजनेस शुरू करने के लिए दो वर्ष के लिए अपना कॉलेज छोड़ देते हैं। इनमें से प्रत्येक को 1,00,000 डॉलर की राशि प्रदान की जाती है और दुनिया के उत्कृष्ट आंत्रप्रेन्योर, इन्वेस्टर और प्रेरक लीडर्स की मेंटरशिप भी मिलती है। इस फेलोशिप के बारे में जानकर रितेश काफी प्रभावित हुए और उन्होंने इसके लिए आवेदन किया। फेलोशिप में रितेश को चुन लिया गया और वे 2013 की थिएल फेलोशिप की सूची में शामिल होने वाला पहले भारतीय बन गए।
अनूठे आइडिया की मजबूत नींव17 की उम्र में शुरू किया बिजनेस, बिना डिग्री खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी
रितेश अग्रवाल ने ओरावेल डॉट कॉम की शुरुआत तब की जब वह सिर्फ 17 वर्ष के थे। इस वेंचर की शुरुआत के पीछे रितेश का मकसद देश भर के पर्यटकों को किफायती दरों पर रहने की सुविधा मुहैया करवाना था। ओरावेल एक ऐसा मार्केटप्लेस है जहां अपार्टमेंट्स और रूम्स की 3,500 से भी ज्यादा लिस्टिंग में से आप अपने लिए आरामदायक और अफोर्डेबल रूम्स तलाश सकते हैं और बुक कर सकते हैं जो उसी क्षेत्र में समान सुविधाएं प्रदान करने वाले होटलों की आधी कीमत में उपलब्ध हैं। यह कंपनी ओयो इन्स (ओयोहोटल्स डॉट कॉम) का संचालन भी करती है जहां कम कीमत के होटल्स की एक श्रृंखला उपलब्ध है।