Sunday, October 11, 2015

अडूसा

 

           
विवरण - अडूसा वृक्ष छोटा होता है | पत्ते हरे होते हैं , परंतु पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं | फूल सफेद होते हैं | फूल तोड कर दबाने से डण्डी से शहद के समान मीठा सफेद रस निकलता है | अडूसा का फूल तपेदिक और सफरा रोग को शाँत करता है | अडूसा का अर्क सेंधा नमक मिलाकर गरम कर पीने से खाँसी दूर हो जाए | अडूसा के पत्तों के काढे से कुल्ली करने से दाँतों का रोग और मुँह के रोग जाता रहता है | अडूसा के पत्तों के रस में अथवा अडूसा की जड के काढा में अभ्रक अथवा कांतिसार मिलाकर सेवन करने से दमा, खाँसी , कमलवाय ,प्रमेह और मूत्राघात ,कफ ज्वर दूर होता है | इसकी छेः माशे की मात्रा है | अडूसा के पके पत्ते में सेंधा नमक मिला कर कपडमिट्टी कर अन्ने कण्डों में फूँकने से भष्म होती है | उस एक रत्ती भर खाने से खाँसी शाँत होती है | अडूसा का सत्त शहद के साथ चाटने से नकसीर रोग और दमा रोग दूर होता है | अडूसा से शीशा भी भष्म हो जाता है |अडूसे का काढा नमक मिला कर पीने से पेचिश रोग दूर हो जाती है | 2 तोले अडूसे की छाल 12 तोले पानी में रत भर भिगो दे प्रातः छान कर काली मिर्च का चूर्ण मिला कर पीने से पित्त ज्वर दूर होता है | अडूसे के काढा से कुल्ला करने से या भाप लेने से मसूडों की सूजन और मुख के छाले दूर होते हैं | अडूसे की क्षार खाँसी ,दमा ,पेट की पीडा को दूर करता है | अडूसा की छाल , मुनक्का और हर्रा का छिलका का काढा मुँह से खून निकलने को बन्द करता है | अडूसे के पत्तों का काढा दिल की धडकन को ठीक करता है | काढा पीने के बाद एक छटाँक मुनक्का खाना चाहिये | खाने के लिये फल और दूध देना चाहिये | अडूसे की जड की लेप से विषैले कीडे की जलन दूर होती है | कई दिनों तक लेप करने से फोडा पक कर फूट जाता है | अडूसे की चाय बनाकर पीने से निद्रा आती है | अडूसे की काढा का नश्य लेने से नाक से खून का गिरना बन्द हो जाता है | अडूसे चाय 15 दिनों में शरीर की रूक्षता(खुश्की) को दूर करती है | अडूसे के 1 सेर पत्तों को कूट कर 4 सेर पानी में काढा करे 1 सेर पानी रह जाने पर छान ले बाद में 3 माशा फिटकरी ,2 माशा हर्रे का चूर्ण और 4 रत्ती अफिम मिला कर फिर पकावे जब गाढा हो जाय तो गोली बना ले , इस गोली को पानी में घीस कर लेप करने से आँखों  का दुखना ,लाली ,सूजन ,दर्द और पानी का बहना आदि रोग दूर हो जाते हैं |

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