Saturday, May 9, 2015

17 की उम्र में शुरू किया बिजनेस, बिना डिग्री खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी

सिर्फ एमबीए की डिग्री या कॉरर्रेट जॉब्स के अनुभवी ही सफल उद्यमी बन सकते हैं, यह सच नहीं है। 17 साल की उम्र में कॉलेज ड्रॉप आउट रितेश अग्रवाल ने बिना किसी आर्थिक सहयोग के शुरू किए गए अपने व्यवसाय को महज चार साल में उत्कृष्ट ऊंचाइयों पर पहुंचा कर इस सोच को बदला है। आज रितेश 21 साल के हो चुके हैं और उनकी कंपनी करोड़ों की।
कंपनी : ओरावेल
संस्थापक : रितेश अग्रवाल
क्या खास : देश के 300 मिलियन घरेलू और 6 मिलियन विदेशी पर्यटकों को आरामदायक और किफायती बेड एंड ब्रेकफास्ट की सुविधा, उसी क्षेत्र में समान सेवाएं प्रदान करने वाले होटलों की आधी कीमत में उपलब्ध करवाना।
ओडिशा के बिस्सम कटक गांव में जन्मे रितेश अग्रवाल ने अपनी स्कूली शिक्षा रायगड़ा के सेक्रेड हार्ट स्कूल से की। मिजाज से घुमक्कड़ रितेश छोटी उम्र से ही बिल गेट्स, स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग से बहुत प्रेरित थे और वेदांता के अनिल अग्रवाल को अपना आदर्श मानता थे। आम युवाओं की तरह रितेश भी स्कूल पूरा करने के बाद आईआईटी में इंजीनियरिंग की सीट हासिल करना चाहता थे। इसके लिए उन्होंने कोचिंग इंस्टीट्यूट भी ज्वाइन किया, लेकिन सफल न हो सके। फिर यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में दाखिला ले लिया।17 की उम्र में शुरू किया बिजनेस, बिना डिग्री खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी
सफर के दौरान मिला आइडिया
रितेश को यात्राओं का भी काफी शौक था। 2009 में उन्हें देहरादून और मसूरी जाने का मौका मिला। यहां उन्हें महसूस हुआ कि कई ऐसी खूबसूरत जगहें हैं जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। दूसरी ओर ट्रैवल करते-करते ठहरने की व्यवस्था करने से जुड़े कई और मसलों का सामना भी रितेश को करना पड़ा। कई बार उन्हें बहुत ज्यादा रुपए लेकर कोई बेकार सी जगह दे दी जाती थी तो कभी-कभी कम कीमत में अच्छी जगह भी मिल जाया करती थी। ऐसे ही अनुभवों ने रितेश को प्रेरित किया और उसने एक ऑनलाइन सोशल कम्यूनिटी बनाने के बारे में सोचा जहां एक ही प्लेटफॉर्म पर प्रॉपर्टी के मालिकों और सर्विस प्रोवाइडर्स की सहायता से पर्यटकों को बेड एंड ब्रेकफास्ट के साथ रहने की किफायती सुविधा मुहैया करवाई जा सके।
अपने इस आइडिया को मूर्त रूप देने के लिए रितेश ने पढ़ाई छोड़ने का फैसला ले लिया। रितेश के अनुसार, वह सिर्फ दो दिन ही लंदन यूनिवर्सिटी के दिल्ली कैंपस गए, उसके बाद कभी नहीं। उसके इस फैसले से माता-पिता शुरू में बिल्कुल खुश नहीं थे लेकिन जब उन्हें रितेश का पूरा आइडिया समझ आया तो उन्होंने उनका पूरा साथ दिया और उन्हें प्रेरित भी किया।17 की उम्र में शुरू किया बिजनेस, बिना डिग्री खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी
छोटी उम्र में बड़ा जोखिम
वर्ष 2011 में रितेश ने ओरावेल की शुरुआत की। रितेश के आइडिया से प्रभावित होकर गुड़गांव के मनीष सिन्हा ने ओरावेल में निवेश किया और को-फाउंडर बन गए। फिर 2012 में ओरावेल को आर्थिक मजबूती मिली जब देश के पहले एंजल आधारित स्टार्ट-अप एक्सलेरेटर वेंचर नर्सरी एंजल से बुनियादी पूंजी प्राप्त हुई। हालांकि, वेंचर को खड़ा करने में रितेश को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा जिनमें प्रमुख थीं फंडिंग, मार्केटिंग और प्रॉपर्टी के मालिकों और निवेशकों तक पहुंचना। अपने अनुभवों के बारे में बताते हुए वे कहते हैं कि आर्थिक रूप से मजबूत पृष्ठभूमि के अभाव में किसी के लिए भी अपनी कंपनी शुरू करना मुश्किल हो सकता है और एक स्टूडेंट के लिए तो यह और भी बड़ा जोखिम होता है। पढ़ाई की चूहा दौड़ छूट जाती है और आप एक नई दौड़ में शामिल हो जाते हैं।
यहां आपकी जीत में आर्थिक सहयोग अहम भूमिका निभाता है लेकिन स्टूडेंट्स को यह मदद आसानी से नहीं मिलती। इसके अलावा छोटी उम्र भी बड़ी बाधा बन सकती है क्योंकि साथ काम करने वाले प्रोफेशनल्स उम्र में कहीं ज्यादा होते हैं और आपको गंभीरता से नहीं लेते हैं।
नेटवर्किंग की नींव पर बड़े नतीजे
मुश्किलों को हराने की ठान चुके रितेश को महसूस हुआ कि अपना नेटवर्क खड़ा करना और समान लक्ष्य वाले लोगों को खोजना एक अच्छा आइडिया साबित हो सकता है। रितेश की अथक मेहनत का ही नतीजा है कि गुड़गांव स्थित ओरावेल तरक्की की राह पर अग्रसर है। इस वर्ष की शुरुआत में कंपनी ने अपना बिजनेस मॉडल एक ऐसे मुकाम पर पहुंचाया जहां वह अपने ब्रांड ओयो रूम्स के तहत दिल्ली, नोएडा और गुड़गांव में ब्रांडेड और स्टैंडर्डाइज्ड बजटअकोमेडेशन की सुविधा उपलब्ध करवाने में सफल रहा है। वर्तमान में कंपनी हर माह 1 करोड़ रुपए की बुकिंग कर रही है। भविष्य की योजना के बारे में बताते हुए रितेश कहते हैं कि वे देश के करीब दस और शहरों में अपना कारोबार फैलाने की तैयारी कर रहे हैं।17 की उम्र में शुरू किया बिजनेस, बिना डिग्री खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी
थिएल फेलोशिप जीतने वाले पहले भारतीय
वेंचर की नींव को मजबूती प्रदान करने के प्रयास के दौरान रितेश को 20 अंडर 20 थिएल फेलोशिप के बारे में जानने का मौका मिला। इस फेलोशिप के जरिए दुनिया से 20 वर्ष से कम उम्र के ऐसे 20 आंत्रप्रेन्योर को चुना जाता है जो अपना बिजनेस शुरू करने के लिए दो वर्ष के लिए अपना कॉलेज छोड़ देते हैं। इनमें से प्रत्येक को 1,00,000 डॉलर की राशि प्रदान की जाती है और दुनिया के उत्कृष्ट आंत्रप्रेन्योर, इन्वेस्टर और प्रेरक लीडर्स की मेंटरशिप भी मिलती है। इस फेलोशिप के बारे में जानकर रितेश काफी प्रभावित हुए और उन्होंने इसके लिए आवेदन किया। फेलोशिप में रितेश को चुन लिया गया और वे 2013 की थिएल फेलोशिप की सूची में शामिल होने वाला पहले भारतीय बन गए।
अनूठे आइडिया की मजबूत नींव17 की उम्र में शुरू किया बिजनेस, बिना डिग्री खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी
रितेश अग्रवाल ने ओरावेल डॉट कॉम की शुरुआत तब की जब वह सिर्फ 17 वर्ष के थे। इस वेंचर की शुरुआत के पीछे रितेश का मकसद देश भर के पर्यटकों को किफायती दरों पर रहने की सुविधा मुहैया करवाना था। ओरावेल एक ऐसा मार्केटप्लेस है जहां अपार्टमेंट्स और रूम्स की 3,500 से भी ज्यादा लिस्टिंग में से आप अपने लिए आरामदायक और अफोर्डेबल रूम्स तलाश सकते हैं और बुक कर सकते हैं जो उसी क्षेत्र में समान सुविधाएं प्रदान करने वाले होटलों की आधी कीमत में उपलब्ध हैं। यह कंपनी ओयो इन्स (ओयोहोटल्स डॉट कॉम) का संचालन भी करती है जहां कम कीमत के होटल्स की एक श्रृंखला उपलब्ध है।
 

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