Monday, May 4, 2015

शुरू करें ‘कुछ’ अपना


रूटीन लाइफ की नौकरी पर निकलते वक्त हमेशा आपको लगता है कि ‘कुछ’ अपना करता तो ज्यादा अच्छा होता। किसी आस-पड़ोस वाले या दोस्त को बिज़नस  दम पर दशकों की दौड़ वर्षों में पूरा करते देखने पर लगता है कि ‘कुछ’ अपना करता तो अच्छा होता। यह कुछ करने का आइडिया आपको सोने नहीं दे रहा तो अब वक्त आ चुका है  कुछ अपना करने का।
Step 1- आपका आइडिया क्या है ?
यह बात भले ही आप कई बार सुन चुके हों कि एक आइडिया  आपकी दुनिया बदल सकता है लेकिन है यह सौ फीसदी सच। आप अपने आस-पास नज़र दौड़ाइए और देखिए किसी एक इंसान की आइडिया ने दुनिया बदल रखी है। वह चाहे आपके किचन में सीटी देने वाला कुकर हो  दुनियाभर में एक नया समाज खड़ा कर देने वाला फेसबुक। सभी की शुरुआत एक आइडिया से हुई। अपने आइडिया को परवान चढ़ाने से पहले कुछ सवाल खुद से पूछें।
  • क्या मेरे उत्पाद या सेवा की वाकई में किसी को जरुरत है ?
  • क्या इस जरुरत को पूरा करने के लिए शुरू किये बिज़नस से आपको फायदा होगा ?
  • क्या मेरे आइडिया पर पहले से कंपनियां काम कर रही है अगर हां तो आप उनसे कैसे बेहतर या अलग हैं ?
  • क्या मेरे आइडिया को जमीन पर लाना संभव है ?
  • मेरा आइडिया कितना सुरक्षित है ?
  • मेरा आइडिया अच्छा तो है लेकिन क्या इसे लोगों तक पहुंचाना मुमकिन है ?
  • इसे बनाने और इसकी मार्केटिंग में आने वाला खर्च को जुटाना क्या मुमकिन है ?
  • बिज़नस से मुनाफा मिलने की दर इतनी होगी कि मैं सफलता से अपने बिज़नस को जमाए रख सकूं ?
  • क्या मैं अपने आइडिया को कॉपीराइट या पेटेंट के जरिए सुरक्षित करने की स्थिति में हूं ?
  • कहीं मेरा आइडिया किसी दूसरे के पेटेंट या कॉपीराइट का उल्लंघन तो नहीं है ?
  • क्या इसके लिए कच्चा माल और मैन पावर उपलब्ध है ?
अगर आपका आइडिया इन कसौटियों पर खरा नहीं उतरता है तो मतलब साफ है इसमें और सुधार करने का वक्त निकालना पड़ेगा। अगर आइडिया फिट है तो अगला कदम एक्सपेरिएंस सर्वे का आता है।
Step 2- क्या है एक्सपेरिएंस सर्वे
इसका मतलब है आपको अपने आइडिया से जुड़े विशेषज्ञ से मिलना चाहिए और उनकी सूक्ष्म दृष्टि का फायदा उठाना चाहिए। ये लोग आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं।
इंजीनियर: यह वक्त तकनीक का है और आपके आइडिया से जुड़े इंजीनियर से बेहतर इसके बारे में कोई नहीं बता सकता। उससे बिज़नस के तकनिकी पहलू पर राय ले सकते हैं।
सप्लायर: आपके बिज़नस आइडिया में कच्चे माल या सर्विसेज़ में सप्लाई चेन की बड़ी भूमिका है। इसलिए इसकी उपलब्धता और कीमत लेकर रखना जरुरी है।
एजेंट: कई बार आपके बिज़नस और ग्राहक के बीच एजेंट की भूमिका अहम होती है। ऐसे में आपको उससे बात करना होगा।
सरकारी अधिकारी/वकील: इनसे सेफ्टी लाइसेंस, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट, लेबलिंग या कानूनी सलाह ले सकते हैं।
इस सबके अलावा आपका आइडिया चाहे जितना भी ओरिजनल क्यों न हो इस बात की गुंजाइश बनी रहती है कि कोई और भी इसे कर रहा हो। इसलिए जितना हो सके रिचर्स कर लें। इसमें इंटरनेट मददगार हो सकता है। मार्केट में कम्पीटीशन के बारे में रिसर्च जरुरी है। बेहतर होगा कि उनकी प्राइसिंग, मार्केटिंग, डिस्ट्रीब्यूशन, और मुनाफे के बारे में अच्छी तरह से जान लें।
step 3: कंपनी रजिस्ट्रेशन
भारत में किसी भी कंपनी को रजिस्टर्ड करने के लिए बाकायदा मिनस्ट्री ऑफ़ कॉर्पोरेट अफेयर काम करती है। भारत में कंपनियां दो स्वरूपों, सोल प्रोप्राइटरशिप और प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह रजिस्टर कराया जा सकता है।
  • कंपनी लॉ के अनुसार किसी भी रजिस्टर्ड कंपनी  कम से कम 2 पार्टनर और 2 शेयर होल्डर होना जरुरी है।
  • शेयर होल्डर्स किसी भी हाल में 50 से अधिक नहीं हो सकते।
  • किसी भी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में आम पब्लिक शेयर नहीं खरीद सकती है।
  • ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए इस वेबसाइट पर जा सकते हैं।
  • सोल प्रोप्राइटरशिप बिज़नस करने के लिए किसी कंपनी लॉ के तहत रजिस्ट्रेशन नहीं कराना पड़ता है।
  • नई कंपनी खोलने का यह आसान और पुराना तरीका है।
  • ऐसी कंपनी का बैंक अकाउंट तो कंपनी के नाम पर ही होता है लेकिन उसे ऑपरेट कंपनी का फाउंडर अपने हस्ताक्षर से ही करता है।
  • इसमें किसी तरह के कम से कम या अधिक से अधिक पैसे की लिमिट नहीं होती।
  • ऐसी कंपनी की पहचान उसके मालिक से होती है और इसके अलावा उसकी कोई कानूनी वैधता नहीं होती।
Step 4: फंड का जुगाड़
इतना सब करने के बाद भी एक सच्चाई का सामना आपको करना पड़ेगा कि आपका बेहतरीन आइडिया अभी कागजों पर ही है। इसे जमीन पर लाने के लिए सबसे जरुरी चीज यानि पैसे। इसके इंतजाम के लिए अनुभवी बिजनसमैन तरीके बताते हैं।
  1. अपना पैसा लगा कर
  2. बैंक से लोन लेकर
  3. किसी पार्टनर को फाइनेंसर बना कर या हिस्सेदारी देकर।
  4. VC (वेंचर कैपिटलिस्ट) के सहारे कैसे मिलेगा बैंक से लोन
  • अपना बिज़नस शुरू करने के लिए अगर आपको बैंक लोन लेना है तो कंपनी लॉ के तहत रजिस्ट्रेशन होना जरुरी है।
  • इसके बाद कंपनी को मिनिस्ट्री ऑफ़ माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज से अप्रूवल लेना होगा। यह तब ही मिलेगा जब इस मिनिस्ट्री की गाइडलाइन पर आप खरा उतरेंगे। इसकी पूरी जानकारी आप इस वेबसाइट पर ले सकते हैं।
  • एक बार यहाँ से अप्रूव हो जाने के बाद बैंक 1 करोड़ तक का लोन बिना कुछ गिरवी रखे दे सकता है।
  • बैंक लोन के लिए खाता खुलवाते वक्त की गयी औपचारिकताओं के अलावा बिजनस की प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी मांगती है।
  • अगर प्रोडक्शन से जुड़ा बिजनस शुरू करते हैं तो पॉल्यूशन और लेबर मिनिस्ट्री मिलने वाली एनओसी भी देनी पड़ती है।
  • अगर कंपनी केवल एक इंसान द्वारा चलाई जाने वाली है या शुरू करने के लिए पैसा चाहती है तो उसे स्टेट लेवल पर चलने वाले डिपार्टमेंट ऑफ़ माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज से संपर्क करना होता है। हर राज्य में इनके लिए अलग-अलग मापदंड रखे गए हैं।
बैंक से लोन लेकर बिजनस करने का पारंपरिक तरीका अब लोगों को उतना पसंद नहीं आ रहा जितना प्राइवेट इक्विटी या वेंचर कैपिटलिस्ट के जरिये बिजनस शुरू करके आ रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है लोन लेकर बिजनस करने में सारा दारोमदार आप पर आ जाता है जबकि वेंचर कैपिटलिस्ट आइडिया से लेकर एक्सपर्ट एडवाइस तक देने के लिए तैयार रहते हैं।
step 5: प्लान होना चाहिए दमदार
अपने बिजनस को जमीन पर लाने के लिए जरुरी है एक बिजनस प्लान। यह प्लान वह दस्तावेज है जो दिखाता है कि कितनी गहराई से अपने बिजनस को समझते हैं और यही इन्वेस्टर को आपकी ओर आकर्षित करेगा।
बिजनस प्लान के मुख्य फीचर्स होते हैं:
बिजनस डिटेल्स:
  1. नाम
  2. लोकेशन
  3. प्रॉडक्ट
  4. मार्केट और कॉम्पटीशन
  5. मैनेजमेंट का अनुभव
मार्केट विश्लेषण: 
  1. अपने प्रॉडक्ट से जुड़ी पूरी मार्केट का ब्योरा
  2. इंडस्ट्री के झुकाव की जानकारी
प्रॉडक्ट या सर्विस:
  1. प्रॉडक्ट या सर्विस लाइन का पूरा ब्योरा
  2. पेटेंट, कॉपीराइट और लीगल इश्यू
मैनुफैक्चरिंग प्रॉसेस:
  1. मैटीरियल
  2. कच्चे माल की सप्लाई का ब्योरा
  3. उत्पादन का तरीका
मार्केटिंग की रणनीति:
  1. किन तरीकों से होगी मार्केटिंग
  2. प्रॉडक्ट या सर्विस की कीमत कितनी होगी
  3. प्रॉडक्ट या सर्विस बेचने का कौन सा तरीका अपनाएंगे
मैनेजमेंट प्लान:
  1. किस तरह का ऑफिस संरचना अपनाएंगे
  2. बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर या ओनरशिप किसके पास होगी
  3. कामों की जिम्मेदारी किस पर कौन सी होगी
  4. कितने कर्मचारी होंगे
     5-अगले एक या दो साल तक बिजनस चलाने का ऑपरेशनल प्लान
इनक्यूबेटर और एसेलरेटर को भी समझें
बिजनस की शुरुआत करने वालों के लिए इन दो शब्दों के मायने जानना बहुत जरूरी हैं। इन्क्यूबेटर आपको अपने आइडिया के शुरुआती दौर में उसे प्रॉडक्ट के लेवल तक ले जाने में मदद करता है। इस दौरान वह एक्सपर्ट सलाह तो देता ही है साथ ही पूरे आइडिया को फाइन ट्यून करने का काम भी करता है। एसेलरेटर, जैसा कि नाम से ही पता चलता है आपके आइडिया को स्पीड देने का काम करता है। इनका रोल तब अधिक होता है जब एक बिजनस आइडिया चल तो निकला है लेकिन बड़ा बनने में कुछ कसर बाकी है। यह तय वक्त के लिए आपके बिजनस आइडिया को अपने सहारे ऊंची उड़ान दिलाने में मदद करते हैं। इन्क्यूबेटर और एसेलरेटर अमूमन नए बिजनस आइडिया को एक ऑफिस स्पेस के साथ ही एक्सपर्ट्स की मदद भी दिलाते हैं।ये दोनो ही बेहतरीन आइडिया को हर मुकाम पर पालने पोसने की जिम्मेदारी उठाते हैं ।
यहां से मिलेगी आपको मदद
हम कुछ ऐसे ठिकानों के बारे में दे रहे हैं जो आपके आइडिया को एक मुकाम देने का काम कर सकते हैं।
इंडियन एंजल नेटवर्क इनक्यूबेटर
दिल्ली भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नॉल्जी का चलाया गया यह बेहतरीन आंत्रप्रेन्योरशिप प्रोग्राम है जिसमें आइडिया को बेहतरीन तरीके से सपोर्ट किया जाता है। यहां किसी भी वेंचर को 18-24 महीने तक इनक्यूबेट किया जाता है। एक्सपर्ट्स का इनसे बढ़िया नेटवर्क फिलहाल भारत में मौजूद नहीं है।
टेक्नॉलजी बिजनस इन्क्यूबेटर
आईआईटी दिल्ली हालांकि यह केवल तकनीकी बिजनस को ही बढ़ाने में मदद करते हैं लेकिन इनके सहारे कई आईआईटी स्टूडेंट्स ने अपने आइडिया को बड़ा बनाया है। इसमें आईआईटी किसी भी अच्छे बिजनस आइडिया को वेंचर कैपिटलिस्ट की मदद से आगे बढ़ाती है। एक्सपर्ट्स के लिहाज से यह किसी भी आइडिया को शुरू करने के लिए अच्छी जगह साबित हो सकती है।
टीलैब्स
दिल्ली यह टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड का एक एसेलेरेटर है जो 10 फीसदी हिस्सेदारी के बदले 10 लाख रुपये तक फंड करता है। 13 महीने का इस प्रोग्राम को बिजनस जगत की बड़ी हस्तियां मेंटर करती हैं। यह ऑफिस के लिए जगह भी देते हैं। प्रोग्राम की शुरुआत फरवरी और अगस्त में होती है।
सोसाइटी फॉर इनोवेशन ऐंड आंत्रप्रेन्योरशिप, आईआईटी मुंबई
साइंस और टेक्नॉलजी के क्षेत्र में एंटप्रेन्योरशिप के लेवल पर चलने वाली किसी भी रिसर्च या शुरुआत को आईआईटी मुंबई का यह हिस्सा बखूबी करता है। इसे भी सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नॉल्जी का सपोर्ट मिलता है। हालांकि यहां केवल आईआईटी मुंबई से जुड़े स्टूडेंट्स को ही मौका मिल पाता है।
अनलिमिटेड इंडिया (UnLtd) मुंबई
यह सोशल आंत्रप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने के लिहाज से बेहतरीन इनवेस्टर साबित हो सकता है। यहां एक्सपर्ट्स की देखरेख में बेहतरीन स्टार्टअप इनक्यूबेशन के साथ-साथ सीड फंडिंग (बिजनस शुरु करने के लिए पैसा) का जुगाड़ भी हो जाता है। 3 टियर की फंडिग में 80 हजार से 20 लाख तक की फंडिंग हो सकती है।
सिडबी इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन सेंटर, आईआईटी कानपुर
छोटी इंडस्ट्रीज को मदद करने के लिहाज से आईआईटी कानपुर का यह प्रोग्राम काफी खास है जो स्मॉल इडस्ट्रीज डिवेलपमेंट डिपार्टमेंट के सहयोग से चल रहा है। यह न केवल टेक्नॉल्जी बेस आइडिया को सपोर्ट करता है बल्कि उन्हें बड़े बिजनस की शक्ल देने के लिहाज से सपोर्ट भी करता है। छोटे लेवल के बिजनस आइडिया के लिहाज से इस सेंटर को एक्सपर्ट माना जाता है।
Apply for the name of the company to be registered by filing Form INC-1 for the same. After that depending upon the proposed company type file required incorporation forms listed below.
MCA.GOV.IN

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