Thursday, January 14, 2016

किसानों को ई-काॅमर्स से जोड़ता है फार्मिली: कार्तिक नटराजन

यूँतो मैं जमाने में घूम आया पर कहीं मन न लगा, बस एक इच्छा थी ऊँची उड़ान भरने की, आकर अपने मुकाम पर तेरे दर्द को अपना दर्द समझा और बस उड़ान भरता चला गया। आखिरकार मंजिल मिल ही गई और मैं रुकने के बजाये आगे बढ़ता चला गया। ये किसी शायर की शायरी नहीं बल्कि कुछ पंक्तियां हैं, जो शायद फार्मिली की शुरुआत करने वाले कार्तिक नटराजन और डॉ.क्रिस्चियन स्त्रेडिक पर सटीक बैठती है। ये वो सख्श हैं जिन्होंने किसानों की समस्याओं को अपनी समस्या समझते हुए उनको एक प्लेटफार्म दिया, अपने कृषि व्यवसाय को आगे बढाने के लिए। कृषि जागरण ने उनसे खास मुलाकात की और उनके इस स्टार्टअप और कृषि के डिजिटलाईजेशन के बारे में कुछ खास बातें जानने की कोशिश की, उनकी कहानी उन्हीं की जुबानी।
जिस तरह से किसान आज परेशान है और अपनी फसलों की बर्बादी और सही भाव न मिलने के कारण आत्महत्या जैसी समस्याओं का शिकार हो रहा है। यह बात मुझे परेशान कर देती है। इन सबको ध्यान में रखते हुए मुझे फार्मिली के शुरू करने का ख्याल आया। जैसा कि नाम से जाहिर है फार्मिली (Farm+Farmily) दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है खेती, किसान और उससे जड़े हर व्यक्ति का एक परिवार। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हंै कि फार्मिली बिगड़े हुए कृषि बाजार का सुधरा हुआ रूप है। जिसको हम आज की भाषा में ई-कॉमर्स अथवा एग्रीकल्चर ई-कॉमर्स कहते हंै। फार्मिली वो प्लेटफार्म है, जहाँ किसानों और उनकी फसल और उत्पादों के खरीददारों को एक ही स्थान पर लाकर खड़ा कर दिया है। जिसके जरिए एक किसान अपनी फसल को घर बैठे आसानी से बिना मंडी जाए बेच सकता है और खरीददार अपनी जरुरत के हिसाब से आसानी से खरीद सकता है। इसको हम कह सकते हंै, कि कृषि, किसान और कृषि से जुड़े हर व्यक्ति को एक साथ जोड़ने का काम कर रहा है फार्मिली। यहाँ पर कृषि से जुड़े हर व्यक्ति को सीधे तौर पर आधुनिक तकनीक से जोड़ा जा रहा है, जो किसान फसल खराब होने से अपना सिर पकड़ कर बैठ जाते हंै या आत्महत्या जैसी समस्याओं का शिकार हो जाते हैं, फार्मिली के आने से शायद उनको थोड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि फार्मिली उनको अवसर देता है, अपने कृषि व्यवसाय को बिना किसी परेशानी आगे बढाने का। फार्मिली के आने से मंडी के बिचैलियों का काम बिल्कुल खत्म हो जाता है, इसी का नाम फार्मिली है।
मैंने अपने कैरियर की शुरुआत 90 के दशक में आईटी क्षेत्र से जूनिपर नेटवर्क के साथ फाउंडर कंट्री मैनेजर के तौर पर की। उसी दौरान मेरी मुलाकात डॉ. क्रिस्चियन स्त्रेडिक से हुई। जिनके साथ मेरी 14 साल की साझेदारी है। अब वो फार्मिली के को-फाउंडर हैं। मेरा खेती से पुराना नाता है, क्योंकि मेरे दादा टी प्लान्टर थे और पिताजी एक कॉफी प्लान्टर रहे हैं। हालाँकि मेरा बचपन इन पौधों के बीच ही बीता है। मुझे अभी भी हरियाली से बहुत प्यार है। कुछ समय पहले मैंने कर्नाटक के नजदीक सकलेशपुर गाँव का रुख किया और वहां पर खेती की शुरुआत की, जिससे मुझे फायदा हुआ। इसके बाद मैंने जैविक खेती में निवेश कर खेती शुरू कर उसे जैविक प्रमाणिकता दिलाई। तब तक गाँव में यह खबर फैल चुकी थी कि आईटी में जॉब करने वाला व्यक्ति अब गाँव में खेती कर रहा है। यह सुनकर कई ग्रामीण इकठ्ठा होकर मेरे पास आये और उन्होंने कहा कि आप बहुत अच्छा कार्य कर रहे हो। उसी दौरान उन किसानों ने बताया कि हमने 2 से 3 एकड़ में अदरक लगाया है, लेकिन हम उसका क्या करे, क्योंकि अदरक के भाव बहुत गिर चुके हैं। उस समय बहुत फसल बर्बाद हुई। इस बात का मुझे बहुत दुख हुआ। इस पर मैंने एक रिसर्च की। इसके पीछे क्या कारण हंै कि किसानों को सही भाव नहीं मिल पा रहे हंै। इस रिसर्च में मैंने अपने स्कूल के एक साथी का सहयोग लिया, जो पिछले 24 सालों से खेती कर रहे थे। इसके पीछे हमें कई कारण मिले जैसे ज्यादातर किसान समुदाय क्षेत्रीय स्तर पर कार्य करते हैं लेकिन उनको अच्छा फायदा नहीं मिल पाता है।
कृषि विकास और डिजिटल तकनीक के मध्य कमजोर सम्बन्ध हैं। भाषा इसका एक बहुत बड़ा कारण हैं जिससे क्षेत्रीय किसान किसी दूसरे राज्य के खरीददार के साथ सही से बात नहीं कर पाता है। इसके अलावा एक कारण और भी है कि कम जानकारी और निवेश पूँजी में कमी का होना। इन सब कारणों कि वजह से किसान अपनी फसल को सही दामों पर नहीं बेच पा रहे थे। जिससे उनको अच्छा भाव नहीं मिल पा रहा था, क्योंकि उनको अपने उत्पादों को बेचने के लिए न तो सही स्थान मिल रहा था और न ही सही खरीददार। तभी मैंने कुछ ऐसा करने की सोची जिससे किसानों को इन समस्याओं से छुटकारा मिल जाए तभी मैंने फार्मिली की शुरुआत की।
किसानों को जो मुख्य समस्याएं आ रही है उनमंे सही मार्किट का न मिलना, गुणवत्ता नियंत्रण और कोल्ड स्टोरेज के बारे में जानकारी न होना। इसके अलावा भाषा सबसे बड़ी समस्यां थी जिसमंे कोई कन्नड़ किसान अगर किसी दूसरे राज्य के हिंदी बोलने वाले खरीददार को अपना उत्पाद बेचना चाहता है, तो वह सही से नहीं समझ पाता।
एक कारण यह भी है कि बिचैलियों को अपना माल कम दामों में बेच देना और वित्तीय सहायता न मिलना।
कहीं न कहीं इसमें बहुत बड़ा रोल सही खरीददार का न मिलना भी होता है, इन सब कारणों से निपटने के लिए हमारे सामने अब सवाल यह था कि कैसे तकनीक से इनका हल हो सकता है। आज से 10 साल पहले किसी ने यह नहीं सोचा होगा कि एक छोटा सा मोबाइल इतना स्मार्ट हो जायेगा की गाँव में रहने वाला किसान मोबाइल के जरिये घर बैठे अपने उत्पाद या फसल को आसानी से सीधा ग्राहक को अच्छे दामों में बेच सकेगा। इस सोशल मीडिया ने गाँव से लेकर शहर तक पूरे विश्व को एक साथ जोड़ा है।
फार्मिली सोशल मीडिया का ही वह रूप है जिससे किसानों, ग्राहकों, बागवानी करने वालांे और मछुआरों को एक साथ जोड़ने का काम कर रहा है। फार्मिली के जरिये किसानों को अपनी फसल को सीधे ग्राहक को बेचना, उत्पादनकर्ता और ग्राहक के मध्य सीधा संवाद होता है।
फार्मिली के जरिये किसान अपना व्यवसाय बढ़ा सकते हैं। मंडी में आने वाली परेशानियों जैसे सही मंडी और सही भाव का न मिलना, भाषा की बाधा के कारण सही से सामान ना बेच पाना, खेत से मंडी तक ले जाने में होने वाली बर्बादी से बचाव और बिचैलियों से छुटकारा आदि समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है।
फार्मिली कैसे किसानों के लिए फायदेमंद है यह बताना आवश्यक है। जैसा कि पहले ही बता चुका हूँ कि फार्मिली अपने आप में एक डिजिटल मंडी है जो किसानों और ग्राहकों को एक साथ जोड़ता है। फार्मिली कल्टीवेटिंग कनेक्शन के जरिये उत्पादन की बर्बादी को खत्म कर देता है। इस कल्टीवेटिंग कनेक्शन के जरिये किसान और उसके ग्राहक के मध्य एक रिश्ता बन जाता है। कृषि और किसान को डिजिटलाईज करने के लिए फार्मिली एक वेबसाइट के रूप में सेतु का काम कर रहा है। जिस पर किसान अपने खेत में खड़ी फसल के फोटो खींचकर सीधे वेबसाइट पर पूरी जानकारी और मांग के साथ वेबसाइट पर अपलोड कर सकता है। वेबसाइट से जिस ग्राहक या खरीददार को वो फसल पसंद आएगी वो उस किसान से सीधा संपर्क कर सकता है। इसके अलावा दूसरे किसानों के साथ अपनी जानकारी भी शेयर कर सकते हैं और उत्पाद की बोली भी लगा सकते हैं। एक बार डील हो जाने पर ईको सिस्टम लागू हो जाता है। इसके जरिये किसान अपनी फसल की बर्बादी भी बचा सकता है। किसान इसको अपने फोन पर फार्मिली मोबाइल एप डाउनलोड कर उससे भी अपना उत्पाद बेच सकते हंै।
कैसे फार्मिली किसानों को फायदा पहुंचा रहा है?, इसके लिए आपको बताना चाहूँगा, एक किसान जो अपना अनार एक बिचैलिये को 50 रूपये किलो बेच रहा था और फिर वही अनार बंगलौर की एक रिटेल चैन को उस बिचैलिये द्वारा 125 रूपये किलो बेचा जा रहा था। उस किसान को जैसे ही फार्मिली के बारे में पता चला उसने तभी साईन अप किया और अपना वही अनार 70 रूपये किलो फार्मिली के जरिये बेचा। आज फार्मिली के साथ हजारों किसान जुड़ चुके हैं और बहुत तेजी से फार्मिली के साथ आगे बढ़ रहे हैं। देश के हर कोने से किसान फार्मिली के साथ जुड़ते जा रहे हैं।
भविष्य में किसानों और कृषि से जुड़े हर व्यक्ति के लिए एक बड़ा प्लेटफार्म बनकर सामने आ रहा है। जोकि लाखों किसानों और खरीददारों को एक साथ जोड़ता है। मंडी के बिचैलियों का काम खत्म करता है। फार्मिली का सिर्फ एक ही उद्देश्य है, किसान के उत्पादों के वितरण में परिवर्तन कर उसकी बर्बादी को रोकना। जिससे यह उत्पाद किसानों से सीधे मेज पर पहुंचे। किसानों को मंै यही कहना चाहूँगा कि फार्मिली किसानों और खरीददारों के लिए एक अच्छा प्लेटफार्म है। जिसके साथ वो अपना व्यवसाय सफलतापूर्वक आगे बढ़ा सकते हैं। जिसमें फार्मिली उनकी पूरी मदद करता है। किसान फार्मिली के साथ जुड़कर लाभ ले सकते हंै। अधिक जानकारी के लिए फार्मिली के टोल-फ्री न. 1800-121-4142 या फिर info@farmily.com पर संपर्क कर सकते हैं।

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