Tuesday, June 12, 2012

कहीं आप भूतप्रेत बाधा से तो प्रभावित नहीं है ?


प्रायः सुनने में आता है कि उसके ऊपर भूत आ गया है या उसको प्रेत ने पकड़ लिया है जिसक कारण उसके घर वाले बहुत परेशान हैं। उसको संभाल ही नहीं पाते हैं। तान्त्रिक, मौलवी या ओझा के पास जाकर भी कुछ नहीं हुआ है। समझ नहीं आता है क्या करें।
भूत-प्रेत बाधा है या नहीं
आप अपनी या किसी की कुण्डली देखें और यदि ये योग उसमें विद्यमान हैं तो समझ लें कि जातक या जातिका भूत-प्रेत बाधा से परेशान है। ये योग इस प्रकार हैं-
पहला योग-कुण्डली के पहले भाव में चन्द्र के साथ राहु हो और पांचवे और नौवें भाव में क्रूर ग्रह स्थित हों। इस योग के होने पर जातक या जातिका पर भूत-प्रेत, पिशाच या गन्दी आत्माओं का प्रकोप शीघ्र होता है। यदि गोचर में भी यही स्थिति हो तो अवश्य ऊपरी बाधाएं तंग करती हैं।
दूसरा योग-यदि किसी कुण्डली में शनि, राहु, केतु या मंगल में से कोई भी ग्रह सप्तम भाव में हो तो ऐसे लोग भी भूत-प्रेत बाधा या पिशाच या ऊपरी हवा आदि से परेशान रहते हैं।
तीसरा योग-यदि किसी की कुण्डली में शनि-मंगल-राहु की युति हो तो उसे भी ऊपरी बाधा, प्रेत, पिशाच या भूत बाधा तंग करती है। उक्त योगों में दशा-अर्न्तदशा में भी ये ग्रह आते हों और गोचर में भी इन योगों की उपस्थिति हो तो समझ लें कि जातक या जातिका इस कष्ट से अवश्य परेशान है।
इस कष्ट से मुक्ति के लिए तान्त्रिक, ओझा, मौलवी या इस विषय के जानकार ही सहायता करते हैं। यदि कुण्डली में इस प्रकार के योग हों तो इनसे बचने के लिए योगकारक ग्रहों के उपाय अथवा यहां एक प्रयोग बता रहे हैं उसे कर सकते हैं। यहां एक मन्त्र दे रहे हैं जिसे स्नान करके हनुमान मन्दिर में 108 बार प्रतिदिन जपें और 45 दिनों तक नित्य करें। किसी भी शुक्लपक्ष के मंगलवार से प्रारम्भ कर सकते हैं।
भूत प्रेत बाधा निवारक हनुमत मन्त्र इस प्रकार है-
भूत प्रेत बाधा नाशक मन्त्र
ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ऊँ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय भूत-प्रेत पिशाच-शाकिनी-डाकिनी- यक्षणी-पूतना-मारी-महामारी, यक्ष राक्षस भैरव बेताल ग्रह राक्षसादिकम्‌ क्षणेन हन हन भंजय भंजय मारय मारय शिक्षय शिक्षय महामारेश्वर रुद्रावतार हुं फट् स्वाहा।
उक्त मन्त्र को श्रद्धा, विश्वास के साथ जप कर मन्त्र से अभिमन्त्रित जल पीड़ित जातक या जातिका को पिलाने या छींटे मारने से इस प्रकार की बाधा से मुक्ति मिलती है।
इस मन्त्र प्रयोग को करने के लिए आपमें दृढ़ इच्छा शक्ति एवं भरपूर आत्मबल होना चहिए। यदि आप डरपोक हैं तो इस प्रयोग को न करें। आप बीमार, हृदय रोगी एवं अस्थिर प्रवृत्ति के अल्प मनोबल वाले व्यक्ति हैं तो भी इस प्रयोग को न करें। कोशिश करें किसी गुरु या जानकार से सलाह लेकर ही इस प्रयोग को करें।
निर्बल मन या अल्प मनोबली व्यक्ति के ऊपरी बाधा से मुक्ति दिलाने वाले प्रयोग को नहीं करना चाहिए। ये प्रयोग आस्तिक एवं प्रभु पर विश्वास करने वाला ही कर सकता है। यदि मनोबली है तो आप स्वयं और दूजों का लाभ पहुंचा सकते हैं।

1 comment:

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