Tuesday, June 12, 2012

चाल से जानिए नेचर के राज

उठना, बैठना, बोलना जैसे मानव- व्यवहार हमेशा से ही कवि, शायर, गीतकारों के लिए मनपसंद विषय रहे हैं और इन पर आधारित कई दिलकश रचनाएँ भी रची गई हैं। गीतकारों ने तो 'चाल' जैसे उपेक्षित विषय को भी अपने गीतों के माध्यम से बेहद आकर्षक बनाया है। 

प्राचीन शास्त्रों में भी व्यक्ति के 'चाल-चलन' पर कई रोचक टिप्पणियाँ की गई हैं। इस‍ीलिए हमारे बुजुर्ग अपनी पारखी नजरों से किसी भी अनजान व्यक्ति को देखकर उसका चाल-चलन भाँप लेते हैं। आधुनिक मनोवैज्ञानिकों में भी 'चाल' शोध का रुचिकर क्षेत्र बनता जा रहा है। कारण आपकी चाल, आपकी मन:स्थिति के बारे में अनजाने में ही दूसरों को बहुत कुछ कह देती है। 

वैसे आवश्यक नहीं है कि हर बात बोलकर या शब्दों में ही अभिव्यक्त की जाए और यह भी जरूरी नहीं है कि किसी के मूड के बारे में हम उससे बात करके ही जानें। व्यक्ति की भाव-भंगिमा, चेहरे की आकृति द्वारा ही हम काफी कुछ अंदाज लगा सकते हैं। आप भी अगर किसी से कुछ बोले बिना उसके दिल का हाल जानना चाहते हैं तो आइए हम आपको अवगत कराते हैं : - 

* अगर कोई व्यक्ति आराम से प्रसन्नचित्त बाँहें झुलाते हुए अपने आसपास चौकन्नी नजरें घुमाते हुए चुस्ती से कदम नापते हुए चल रहा हो तो समझ लीजिए कि वह आत्मविश्वास से परिपूर्ण सामान्य मन:स्थिति में है।

* झुके हुए कंधे, झुका हुआ सिर, डगमग चाल बताती है कि व्यक्ति परेशान है, किसी समस्या में उलझा, भीतरी उधेड़बुन से जूझता हुआ व असमंजस में है। इस तरह की चाल व्यक्ति की अवसादग्रस्त और अनिश्चयात्मक मन:स्थिति की सूचक है।

* दोनों हाथ कोट-पतलून अथवा जीन्स की जेबों में डाले कुछ सिर झुकाए मंद-मंद गति या कछुए की चाल से अपने आपमें खोया हुआ कोई व्यक्ति चल रहा हो तो समझें कि फिलहाल वह अकेला रहना चाहता है। वह आत्मचिंतन में लीन है और उस वक्त किसी तरह का व्यवधान नहीं चाहता। 

* दृढ़ मुद्रा, स्थिर कंधे और तेज चाल से पता चलता है कि व्यक्ति तनावग्रस्त है। साथ ही वह जिद्दी तथा अपने लक्ष्य से आसानी से डिगने वाला नहीं है जिस वजह से तनाव हुआ है उस पर वह अपनी बात से हटने को तैयार नहीं। वह अपनी जगह सख्ती से खड़ा होना चाहता है

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